रेल सुरक्षा और समयपालन में बड़ा सुधार
झांसी। मंडल ने रेल परिचालन को आधुनिक एवं अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। गोविंदपुरी–भीमसेन–रसूलपुर गोगूमऊ खंड में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली को सफलतापूर्वक प्रारंभ किया गया है।
इस उन्नत तकनीक के लागू होने से अब ट्रेनें कम अंतराल पर भी पूर्ण सुरक्षा के साथ संचालित की जा सकेंगी, जिससे लाइन क्षमता में वृद्धि होगी और ट्रेनों की समयबद्धता में उल्लेखनीय सुधार होगा। इस परियोजना का क्रियान्वयन महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के निर्देशन में किया गया। इसमें प्रधान मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार अभियंता सतेंद्र कुमार, मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार अभियंता (प्रोजेक्ट–II) भोलेन्द्र सिंह तथा मुख्यालय टीम का सक्रिय योगदान रहा।
नई ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली के लागू होने से मानवीय त्रुटियों की संभावना में कमी आई है, जिससे रेल सुरक्षा और अधिक सुदृढ़ हुई है। परियोजना के अंतर्गत चुनौतीपूर्ण खंड में एक ही दिन में दो ब्लॉक सेक्शन सक्रिय किए गए, जो इस परियोजना की बड़ी उपलब्धि है।
जीएमसी, भीमसेन और रसूलपुर गोगूमऊ स्टेशनों की इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली को भी उन्नत कर सिग्नल संचालन को और तेज़ तथा सटीक बनाया गया है। इस खंड में कुल 127 उन्नत MSDAC उपकरण लगाए गए हैं, जो ट्रेन की सटीक स्थिति का पता लगाकर सिग्नलिंग प्रणाली को और भी विश्वसनीय बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, 12 सिग्नलों को चार-पहलू संकेतों में अपग्रेड किया गया है, जिससे लोको पायलट को पहले से अधिक स्पष्ट और बेहतर सिग्नल जानकारी प्राप्त होती है।
इसी क्रम में कुल पाँच नॉन-इंटरलॉक्ड समपार फाटक—संख्या 229, 230, 232, 233 और 234—को ABS प्रणाली के अनुरूप इंटरलॉक किया गया है, जिससे रेल और सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा में भी वृद्धि हुई है।इस परियोजना का क्रियान्वयन कानपुर प्रोजेक्ट इकाई द्वारा किया गया है।
उप मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार अभियंता (प्रोजेक्ट/कानपुर) महेंद्र सिंह और निवेदिता त्रिपाठी के निर्देशन में मैसर्स परम सीमेंस कंसोर्टियम की टीम ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह परियोजना भारतीय रेल के यात्रियों को अधिक सुरक्षित, समयबद्ध और भरोसेमंद रेल यात्रा उपलब्ध कराने की दिशा में एक प्रमुख कदम सिद्ध हो रही है।






