झांसी। भारतीय रेलवे मज़दूर संघ (BRMS) ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन‑cum‑CEO को विस्तृत पत्र भेजकर वह गंभीर मुद्दा उठा दिया है, जिससे हर रेलकर्मी जूझ रहा है – आश्रित माता‑पिता के लिए मेडिकल सुविधा पर लगे अव्यावहारिक प्रतिबंध। वर्तमान नियमों के कारण जब तक पिता जीवित हैं, माता‑पिता को आश्रित मानने में भारी दिक्कत आती है, जबकि वे निःआय, बीमार और पूरी तरह हमारे ऊपर निर्भर रहते हैं।

BRMS ने माँग की है कि रेलवे मेडिकल नियमों को CS(MA) Rules व CGHS की तर्ज पर बदला जाए, ताकि आश्रितता केवल आय‑सीमा से तय हो, न कि पिता के जीवित या दिवंगत होने से। इससे दोनों माता‑पिता को, यदि उनकी आय निर्धारित सीमा से कम है, सम्मानजनक तरीके से चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी और कर्मचारियों पर वृद्ध माता‑पिता के इलाज का पूरा आर्थिक बोझ अकेले नहीं पड़ेगा।

इतने संवेदनशील विषय पर अब तक किसी भी अन्य यूनियन ने ठोस, लिखित पहल नहीं की थी; BRMS ही वह संगठन है जिसने हज़ारों रेलकर्मियों के माँ‑बाप के सम्मान और इलाज के अधिकार को लेकर आधिकारिक स्तर पर मज़बूत दस्तक दी है। BRMS ने साबित कर दिया कि वह केवल नारेबाज़ी नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाकर कर्मचारियों और उनके परिवारों के वास्तविक सरंक्षक की भूमिका निभा रहा है l