झांसी। भारतीय रेलवे मजदूर संघ के आह्वान पर यूएमआरकेएस ने आज पाखंड दिवस मनाया और जगह-जगह नुक्कड सभाएं कर दोनों मान्यता प्राप्त संगठनों की विरोध/ हड़ताल रूपी नौटंकी को कर्मचारियों के समक्ष उजागर किया। इस दौरान बताया गया कि वर्ष 1974 के पश्चात एआईआरएफव एनएफआईआर ने अनेकों बार रेल मजदूरों की मांगों को लेकर हड़ताल के लिए वोटिंग कराया, लगभग 94 फीसदी से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल के पक्ष में मतदान किया, किंतु दोनों संगठन अपने निजी स्वार्थ एवं सुख सुविधा खोने के डर से सरकार के सामने घुटने टेक दिये और हड़ताल से भाग गये। 11 जुलाई 16 को 36 मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान दोनों संगठनों ने किया पर सरकार के द्वारा बिना एक भी मांग पूरा कराये और सरकार के द्वारा न ही कोई आश्वासन देने के बाबजूद भी यह आश्चर्य जनक रूप से 5 दिन पहले बिना कोई कारण बताये हड़ताल से भाग खड़े हुए। इससे सिद्ध होता है कि दोनों मान्यता प्राप्त संगठन हड़ताल के नाम पर चंदे वसूल कर, हड़ताल न करके केवल और केवल पाखंड करती है। अभी हाल ही में कायाकल्प कमेटी की रिकमण्डेशन से उत्पादन इकाइयों व ट्रेनों के निगमीकरण का अमानवीय फैसला लिया गया है। इसी कायाकल्प कमेटी के मेम्बर शिवगोपाल मिश्र व एम रघुवैया हैं और आज निगमीकरण का विरोध करने का पाखंड कर रहे हैं। सभाओं के दौरान एनपीएस, इंसेंटिव बोनस, वेतन आयोग में नुकसान, 15 से 12 सीएल, प्रिंटिंग प्रेस बन्द, कारखाना व रेलवे अस्पताल बंदी की कगार पर, जीडीसीई /एलडीसीई परीक्षाएं समय से आयोजित नही होने, ट्रैकमेन्टेनर की पदोन्नति नही करने, कर्मचारियों की कई कल्याणकारी योजनाएं खत्म करने, पीटीओ छह से चार करने, रनिंग भत्तों, एचआरए, जोखिम भत्ता आदि में एरियर का नुकसान, रात्रि भत्ता में कटौती, कई वर्षों से मान्यता में रहने के बाबजूद भी कॉलोनियों की हालत जर्जर, कारखानों में कार्यस्थल पर जलभराव की स्थिति इत्यादि बातों को कर्मचारियों के समक्ष रखा और जागरूक कर समझाया कि पाखण्डी मान्यता प्राप्त संगठनों के बहकावे में अब न आएं। इस दौरान हेमंत कुमार विश्वकर्मा सहायक महामन्त्री, पप्पूराम सहाय कारखाना उपाध्यक्ष, आरके शर्मा परिचालन शाखा अध्यक्ष, संजीव वर्मा, मुकेश मौर्या, सतीश कुमार, धीरज मीना, धीरेंद्र कुशवाहा, अंकित श्रीवास्तव, सौरभ देवलिया, अरुण सिंह, सुनील अग्रवाल, नीरज शर्मा इत्यादि उपस्थित रहे।