• बहिष्कृत को समाज में शामिल करने को पंचायत ने सुनाया था फैसला
    झांसी। आधुनिकता के दौर में आज भी दकियानूशी व बे-सिर पैर की परम्पराएं एवं फरमान समाज के कतिपय ठेेकेदारों के कारण समस्या बने हुए हैं। जनपद के प्रेमनगर के हंसारी ग्वालटोली में ऐसे ही समाज के ठेकेदारों की आंखों की किरकिरी बना अन्तरजातीय विवाह वर्षों बाद उस समय चर्चाओं में आ गया जब समाज के कतिपय ठेकेदारों ने समाज में शामिल करने के लिए बहू को गोमूत्र व गोबर खाने का फरमान सुना दिया। इस मामले में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने एक्शन लेते हुए पंचायत को आड़े हाथों लेते हुए न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए उत्पीडऩ नहीं करने चेतावनी दी। इतना ही नहीं पंचायत में मौजूद आधा दर्जन के खिलाफ शांति भंग की कार्यवाही कर दी।
    दरअसल, प्रेमनगर के हंसारी ग्वालटोली निवासी यादव जाति के एक युवक ने दूसरे समाज की लड़की से 30 जून 2015 में विवाह कर लिया था। यह अन्तरजातीय विवाह उसी समय से समाज के कतिपय ठेकेदारों की आंख की किरकिरी बन गया और उन्होंने उस परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया। हालत यह हो गए कि यादव परिवार को रिश्तेदारों की शादियों तक में शामिल होने में समस्या हो गयी। बहिष्कार की इस स्थिति को निपटाने व समाज में शामिल करने के लिए प्रभावित परिवार ने पंचों से गुहार लगाई। इस पर समाज की पंचायत ने ऐसा तुगलगी फैसला सुनाया कि सनसनी फैल गयी। उन्होंने आदेश दिया कि दूसरे समाज से बहू बनकर आई लड़की को गोमूत्र पीना और गोबर खाना होगा। इसके बाद बहू सहित उनके परिवार को समाज में शामिल किया जाएगा। इस फरमान को प्रभावित परिवार ने मानने में असमर्थता व्यक्त करते हुए रियातय को कहा। इसके बाद आज फैसला के लिए फिर से पंचायत बुलाई गई थी।
    इधर, इस प्रकरण से दुखी पीडि़त युवक ने जिलाधिकारी से शिकायत कर कार्यवाही की गुहार की। इस पर जैसे ही ग्वालटोली में पंच एकत्रित हुए क्षेत्राधिकारी नगर व नगर मजिस्ट्रेट दलबल के साथ वहां पहुंच गए। उन्होंने पंचायत में मौजूद पंचों को इस तरह के प्रकरणों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की जानकारी से अवगत कराते हुए भविष्य में उत्पीडऩ नहीं करने की चेतावनी दी। इसके साथ ही पंचायत में मौजूद आधा दर्जन लोगों के खिलाफ शांति भंग के तहत कार्रवाई की गई।