झांसी। “हिंदी साहित्य भारती” की ऑनलाइन राष्ट्रीय लघुकथा-काव्यगोष्ठी में राष्ट्रप्रेम, शृंगार-भक्तिगीतों व भावप्रणव लघुकथाओं का रसास्वादन कर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध!
राष्ट्रीय संस्था “हिंदी साहित्य भारती” के तत्वावधान में गत दिवस ऑनलाइन “अखिल भारतीय लघुकथा-काव्यगोष्ठी” का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश से जुड़े प्रख्यात साहित्यकारों, मनीषियों द्वारा राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत, समसामयिक, भक्ति और शृंगार से सराबोर गीतों, कविताओं एवं सुंदर लघुकथाओं की प्रस्तुति देकर रचनाकारों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर विकास दवे, संपादक “देवपुत्र” पत्रिका, इंदौर द्वारा की गई तथा मुख्य आतिथ्य वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि प्रोफे. ओमपाल सिंह निडर (पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय कवि) फिरोजाबाद द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती प्रतिभा गुप्ता, लखनऊ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ. विकास दवे ने संस्था के मार्गदर्शक श्रीधर पराडकर, संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल एवं राष्ट्रीय मीडिया संयोजिका डॉ.रमा सिंह द्वारा इस संस्था के गठन एवं सुसंचालन के लिए हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि “हिंदी साहित्य भारती” के माध्यम से साहित्यानुरागियों, रचनाधर्मियों एवं समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को एक साथ लाकर मंच समृद्ध करने का प्रयास सराहनीय है, साहित्य सर्जन को भारत भूमि पर तपस्या माना गया है अतः यह कार्य सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की पृष्ठभूमि को लेकर किया गया है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कवि भूषण की पालकी को राजा छत्रसाल ने कांधा दिया था यह कविता का सर्वश्रेष्ठ सम्मान है। तुलसी के द्वारा मुगल बादशाह के मनसबदारी हेतु दिए गए आमंत्रण को ठुकराये जाने का उदाहरण देकर उन्होंने हमारे सांस्कृतिक दर्शन पर प्रकाश डाला। निरालाजी एवं सुभद्रा कुमारी चौहान की सृजनशीलता के उल्लेख के संदर्भ में उन्होंने कहा कि बुन्देले हरबोलों की वीर गाथाओं को सुनकर महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर कालजयी,अमर रचना लिखने का साहस सृजन का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह लोकशक्ति का ही प्रमाण है। अतः इस मंच के माध्यम से हम राष्ट्रहित-चिंतन में अपनी ऊर्जा एवं श्रम का समर्पण करें।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर ओमपाल सिंह निडर ने बहुत ही भावपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह मंच हमारी राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत एवं हिंदी को परम वैभव तक ले जाने के लिए पूर्णतः सक्षम रहेगा। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रभाषा, राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत अत्यंत ओजपूर्ण रचनाओं से माँ भारती का आह्वान किया, “मातु सिंहवाहिनी मैं द्वार पै खड़ा हूँ तेरे, कवि का निभाऊं धर्म ऐसा वरदान दे।”
उन्होंने आह्वान किया कि, “जागो देशवासियो हिंदी को बचा लो आज..
क्रम को आगे बढ़ाते हुए कमल सक्सेना ने हृदयस्पर्शी गीत प्रस्तुत किया, “इस कदर हम जिंदगी से हार कर बैठे रहे , घर हमारा था मगर हम द्वार पर बैठे रहे।” अगले क्रम में डॉ. वंदना गुप्ता ने” बोनसाई” के रूप से पेड़-पौधों को छोटा किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए भावपूर्ण लघुकथा प्रस्तुत की। अनिल चिंतित, चंडीगढ़ ने माँ पर भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की’-
“निवाला त्याग कर भूखी रही हमको खिलाया माँ, बड़ी तंगी भरे हालात में हम को पढ़ाया माँ..
बेंगलुरु से डॉ. सुरेखा केरूर, ने “एकता” शीर्षक से कविता पढ़ी कि “प्रकृति सबको लगती है न्यारी..” श्री सेवा सदन प्रसाद, मुम्बई ने , “एक छुपा हुआ किरदार” एक अध्यापिका द्वारा आकर्षण में आसक्त हुए शिष्य को सँभाले जाने पर प्रभावी लघुकथा प्रस्तुत की। अगले क्रम में मंजू पांडेय उत्तराखंड ने “आईना” नामक लघुकथा के माध्यम से जीवन की दुष्प्रवृत्तियों पर प्रहार किया। क्रम को आगे बढ़ाते हुए राजवीर भारती के सुंंदर छंद, “सांवरे सों बांसुरी बजी न राधिका को देख,सांवरे की बांसुरी बजाने लगी राधिका” से वातावरण भक्तिमय हो गया। क्रम को आगे बढ़ाते हुए औरंगाबाद से नरेंदर कौर छावड़ा ने “सुहाग चिह्न” नामक लघुकथा पढ़कर समाज की विद्रूपताओं को उकेरते हुए उनका पर्दाफाश किया।
इसी क्रम में अंकित शुक्ल, प्राचार्य, गुना ने “हम हिंदू हम हिंदुस्तानी हिंदी अपनी भाषा, इसका मान बढ़ाएं जग में माँ करती है आशा।” राजभाषा हिंदी का वंदन गीत प्रस्तुत किया।
डॉ बरखा श्रीवास्तव, इंदौर ने एक लघु कथा “आखिर तुम क्या करती हो” पढ़कर नारी की सुसुप्त साधना को रेखांकित किया।
श्री अनंगपाल सिंह ने सावन में भक्ति एवं प्रकृति संरक्षण पर सुंदर रचना, “पेड़ बेल का हुआ सशंकित सावन आया है, किससे कहूं व्यथा सबने हमें सताया है‌” द्वारा भावनात्मक अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम बहुत ही गरिमामय रहा।
अंत में संचालिका डॉ. योग्यता भार्गव, शास. महाविद्यालय, अशोक नगर ने मंच, साहित्य मनीषियों, श्रोताओं एवं मीडिया का आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल, मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह, डॉ.केशव देव शर्मा, रामचरण” रुचिर”, सूरजमल मंगल, डॉ.राजेन्द्र शुक्ल “सहज”, डॉ.लता चौहान, डॉ. कुमुद बाला , डॉ. सुरभि दत्त, डॉ सुखदेव माखीजा,अविनाश साहू, वंदना गुप्ता,अशोक गोयल, डॉ.जमुनाकृष्णराज आदि सहित समूह के सभी सदस्यों ने ऑनलाइन सम्मेलन का रसास्वादन करते हुए अपनी प्रतिक्रियाएँ देकर कवियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम को बहुत ही सफल एवं सराहनीय बताते हुए सभी ने भूरि- भूरि प्रशंसा की।