झांसी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्ट्राइड (स्कीम फॉर ट्रांसडिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडिआस डेवलपिंग इकॉनमी) कॉम्पोनेन्ट एक के अंतर्गत बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त परियोजना के द्वितीय बैच का शुभारम्भ १८ फरवरी २०२१ को कुलपति प्रो. जे.वी. वैशम्पायन द्वारा कर दिया गया I कार्यक्रम की शुरुवात कुलपति और कार्यवाहक वित्त अधिकारी प्रो. एम्.एम्. सिंह सहित सभी अतिथियों द्वारा सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया I तदुपरांत परियोजना समन्वयक डॉ. लवकुश द्विवेदी द्वारा कार्यक्रम के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया I कार्यक्रम संयोजक प्रो. एम्.एम्. सिंह द्वारा नवागंतुकों का स्वागत किया गया I कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. जे.वी. वैशम्पायन द्वारा एक -एक कर सभी प्रतिभागियों का परिचय करने के उपरांत छात्रों को ज्ञान अर्जित करने और उसके सही प्रयोग के अवसर तलाशने की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि आज शोधार्थियों को अपने शोध हेतु विषय की सीमाओं से बाहर निकलने की आवश्यकता है जिससे कि वो दूसरे विषयों के साथ मिलकर सामाजिक, राष्ट्रीय समस्याओं का हल निकल सकने में सक्षम हो सकें I साथ ही उन्होंने छात्रों को जिज्ञासु होने का उपदेश दिया। अंत में कुलपति द्वारा स्ट्राइड टीम के प्रयासों को भी सराहा गया I साथ ही प्रथम बैच के उपस्थित प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूर्ण करने पर प्रमाण पत्र भी दिए I
गौरतलब है कि समूचे भारत से कुल सोलह विश्वविद्यालयों, उत्तर भारत में सिर्फ दो एवं उत्तर प्रदेश से अकेले बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त इस परियोजना में सामाजिक समस्याओं का वैज्ञानिक तरीकों से समाधान खोजने के लिए शोधकर्ता तैयार किये जा रहे हैं I प्रथम बैच में विश्वविद्यालय परिसर के विज्ञान परास्नातक अंतिम वर्ष के ३५ विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के उपरांत द्वितीय बैच में जैव, रसायन, भौतिक, कृषि, फॉरेंसिक, जैव प्रौद्यिगिकी, फ़ूड साइंस टेक्नोलॉजी और सामाजिक विज्ञान सहित कुल ५० विद्यार्थियों को अवसर दिया गया है, जिनमे से कई प्रतिभागी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के बाहर जैसे कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, ओस्मानिआ विश्वविद्यालय, हैदराबाद से भी इस कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं I इनोवेशन सेंटर की ओर से मानव संसाधन एवं कौशल विकास के उद्देश्य से चलाये जा रहे इस परियोजना में ३ वर्षों में लगभग २०० शिक्षकों, विद्यार्थियों, तथा अन्य शोधार्थियों को चार चरणों में प्रशिक्षण के माध्यम से उत्तम शोध कार्य हेतु सक्षम बनाया जायेगाI
गौरतलब है कि भारत में कुल ७८.९% पंजीकृत स्नातक छात्रों में से ०.५% से भी कम विद्यार्थी डॉक्टरेट डिग्री के लिए पंजीकरण करते हैं, अतः प्रतिभागियों में शोध के प्रति रूचि पैदा करने, प्रशिक्षण देकर उन्हें सक्षम बनाने एवं सामाजिक सरोकारों तथा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर शोध करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है I छः-छः माह की अवधि के प्रत्येक बैच में सर्व प्रथम प्रतिभागियों को शोध की रुपरेखा तैयार करना, वैज्ञानिक तरीके, शोध के दौरान उपयोग में आने वाले सॉफ्टवेयर, थीसिस एवं पेपर लिखना, प्रयोगशाला एवं फील्ड़ पर कार्य करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ इत्यादि के बारे में आतंरिक एवं वाह्य विशेषज्ञों द्वारा जानकारियां दी जाएँगी, दूसरे चरण में इनोवेशन सेंटर में उपलब्ध मशीनो को चलाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा, तीसरे चरण में शोध की सीखी गयी बारीकियों का उपयोग करते हुए सामाजिक सरोकार के विषयों पर प्रोजेक्ट कराया जायेगा, तथा अंत में शोध परिणामों को प्रस्तुत करने हेतु कांफ्रेंस का आयोजन किया जायेगा I अंत में संयोजक प्रो. सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. राहुल शुक्ला, डॉ. रामबीर सिंह, डॉ. अनु सिंघला, डॉ. जे. पी. यादव,, डॉ. मुकुल पस्तोर, रोहित पियरडन, पंकज कुशवाहा, कल्पना वर्मा, धीरेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे I