झांसी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्ट्राइड (स्कीम फॉर ट्रांसडिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडिआस डेवलपिंग इकॉनमी) कॉम्पोनेन्ट एक के अंतर्गत बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त परियोजना के द्वितीय बैच, जिसमे ३२ स्कॉलर्स प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, को रिसर्च मेथोडोलॉजी का शिक्षण कार्य  १८ फरवरी २०२१ से अनवरत कराया जा रहा है। इस दौरान ३१ मार्च २०२१ तक २३ विशेषज्ञों द्वारा कुल 64 घंटे का शिक्षण कार्य कराया जा चुका है जिसमें प्रतिभागियों को डाटा कलेक्शन, वैज्ञानिक प्रक्रिया, हाइपोथिसिस लेखन, पेपर/थीसिस लेखन, लैब सेफ्टी मेज़र्स इत्यादि पर व्याख्यान कराये गए हैं, परियोजना में मॉड्यूल-१ के अंतर्गत उक्त शिक्षण कार्य १५ अप्रैल २०२१ तक कराया जायेगा, तदुपरांत मॉड्यूल-२ के अंतर्गत प्रतिभागियों को दो सप्ताह तक इनोवेशन सेंटर में उपलब्ध विभिन्न मशीनो पर हैंड्स ऑन प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्ष इनोवेशन सेंटर में लायी गयी नयी मशीनों जैसे कि टोटल आर्गेनिक कार्बन, माइक्रोवेव डाइजेस्टर, एचपीएलसी को भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जायेगा। मॉड्यूल-३ के अंतर्गत प्रतिभागियों द्वारा किये जाने वाले सामाजिक सरोकार से सम्बंधित ६-६ महीनों की परियोजनाओं हेतु उनकी रूचि के आधार पर १२ गाइड्स में आबंटित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि मॉड्यूल-३ में प्रतिभागियों को प्रोजेक्ट कार्य किये जाने जाने हेतु प्रति प्रतिभागी १० हज़ार रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी I मॉड्यूल-४ के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थी हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेंस का आयोजन कराया जायेगा I समूचे भारत से कुल सोलह विश्वविद्यालयों, उत्तर भारत में सिर्फ दो एवं उत्तर प्रदेश से अकेले बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त इस परियोजना में सामाजिक समस्याओं का वैज्ञानिक तरीकों से समाधान खोजने के लिए शोधकर्ता तैयार किये जा रहे हैं I द्वितीय बैच में जैव, रसायन, भौतिक, कृषि, फॉरेंसिक, जैव प्रौद्यिगिकी, फ़ूड साइंस टेक्नोलॉजी और सामाजिक विज्ञान सहित कुल 32 विद्यार्थियों को अवसर दिया गया है, जिनमे से कई प्रतिभागी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के बाहर जैसे कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, ओस्मानिआ विश्वविद्यालय, हैदराबाद से भी इस कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं I इनोवेशन सेंटर की ओर से मानव संसाधन एवं कौशल विकास के उद्देश्य से चलाये जा रहे इस परियोजना में ३ वर्षों में लगभग २०० शिक्षकों, विद्यार्थियों, तथा अन्य शोधार्थियों को चार चरणों में प्रशिक्षण के माध्यम से उत्तम शोध कार्य हेतु सक्षम बनाया जायेगाI