– रेल कर्मियों को मौत के मुँह में जान बूझ के धकेलने की साज़िश, एनसीआरईएस ने किया प्रदर्शन

परंतु यह नहीं सोचा कि रेल के इन रनिंग कर्मियों को बीमार पड़ने पर समुचित इलाज कैसे मिलेगा व इनके कारण जो इनके परिवार जन संक्रमित हो रहे हैं उन्हें इलाज कैसे मिलेगा आज स्थिति यह है कि यदि कोई तृतीय श्रेणी रेल कर्मी बीमार पड़ जाए तो किसी अस्पताल में उसे रेल की ओर से भर्ती भी नहीं किया जा सकता। मुख्य परिचालन अधिकारी के इस पत्र का विरोध एनसीआरईएस के महामंत्री आर पी सिंह के द्वारा 23 अप्रैल 2021 को पत्र क्रमांक NCRES/ 71 /21 के माध्यम से किया गया तथा इस आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया। आरोप लगाया कि इन अधिकारियों को अपने कर्मियों की तो कोई चिंता ही नहीं, इन अधिकारियों ने सरकार की दृष्टि में अच्छा बनने के लिए रेल कर्मियों और उनके परिवार को जानबूझ कर मौत के मुँह में धकेला जा रहा है।
जबकि ऐसे समय में हमें अपने अधिकारियों से कई संवेदनशील फैसले लेने की उम्मीद थी जैसे कि रेलकर्मियों को फ्रण्ट लाइन वर्कर तो कम से कम ये बनवा ही सकते थे। जो रेल कर्मी अनायास ही काल का ग्रास बनते जा रहे हैं उन्हें कोरोना योद्धा का दर्जा तो दिलवा सकते थे परन्तु इन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और किया तो एक ऐसा तुगलकी आदेश निकाल दिया जो सबकी समझ से परे था। इसी तुगलकी आदेश के पुरजोर विरोध में एनसीआरईएस की ग्वालियर टीम ने मण्डल अध्यक्ष रामकुमार सिंह के नेतृत्व में 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन किया और इस तुगलकी फरमान को वापस लेने की मांग की।