– सार्वजनिक हिंसा की शिकार छात्राओं की मदद के लिए स्थापित होगी सहायता सेल- प्रो सुनील काबिया

झांसी। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा पीड़ित पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए समाज को आगे आना होगा।

उपरोक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के समाज कार्य विभाग, महिला अध्ययन केंद्र द्वारा ब्रेकथ्रू इंडिया संस्था के सहयोग से एक दिवसीय वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे वी वैशंपायन ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक सभ्य और मानवीय समाज में सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा समाज के लिए अभिशाप है। समाज के प्रत्येक वर्ग को इस कुप्रथा को रोकने के लिए प्रयास करना होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो सी बी सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में महिला हिंसा विशेषकर सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा एक वैश्विक समस्या के रूप में उभर कर आई है, जिसका समाधान बच्चों को संस्कारित कर किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो सुनील काबिया ने कहा कि बस, ट्रेन, ऑटो आदि में यात्रा करते यदि कोई अनचाहा स्पर्श करता है तो बिना किसी भय के उस घटना के विरुद्ध आवाज उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले शैक्षिक सत्र से उनका प्रयास रहेगा कि विश्वविद्यालय स्तर पर ऐसी छात्राओं की मदद हेतु सहायता सेल का गठन किया जाए, जिसके माध्यम से छात्राएं अपनी समस्या को रख सकें।
कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक शुभम् सिंह चौहान ने कहा कि ब्रेकथ्रू एक वैश्विक मानवाधिकार संगठन है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए पिछले 20 वर्षो से काम कर रहा है, जिसके अंतर्गत महिलाओं के खिलाफ हिंसा, कामुकता और एचआईवी/एड्स, अप्रवासी अधिकार और नस्लीय न्याय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ब्रेक्थ्रू एक ऐसी दुनिया की कल्पना करता है जिसमें सभी लोग अपने मानवाधिकारों का आनंद लें और सम्मान, समानता, न्याय के साथ रहें। हम महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को अस्वीकार्य बनाकर इस दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।
ब्रेकथ्रू का मिशन महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए उन मानदंडों और संस्कृतियों को बदलना है जो इसे सक्षम करते हैं। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों, वीडियो शो के माध्यम से सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए 5डी का फार्मूला बताया, जिसमें डिस्ट्रैक्ट (ध्यान बांटना), डेलीगेट (किसी दूसरे की सहायता लेना), डॉक्यूमेंट (रिकॉर्ड रखना), डिले (रुकावट डालना), डायरेक्ट (सीधे तौर पर रोकना) शामिल है, इसके माध्यम से हम इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगा सकते हैं। इस अवसर पर समाज कार्य विभाग के समन्वयक डॉ अनूप कुमार ने विभाग के पाठ्यक्रमों में शामिल लैंगिक समानता संबंधी विषयों एवं अधिनियमों के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य विभाग के क्षेत्रीय कार्य निदेशक डॉ मुहम्मद नईम ने, स्वागत महिला अध्ययन केंद्र की समन्वयक डॉ अचला पांडे ने एवम आभार सह समन्वयक डॉ नेहा मिश्रा ने व्यक्त किया। कार्यशाला में डॉ ऋषि सक्सेना, डॉ सुनील त्रिवेदी, डॉ धीरेंद्र सिंह यादव, डॉ रश्मि सिंह सेंगर, डॉ अलका नायक, डॉ दीपशिखा मित्तल, डॉ दिनेश कुमार सिंह, डॉ रनवीर सिंह, डॉ शिल्पा मिश्रा, डॉ संजीव रत्न गुप्ता, डॉ हरिमोहन सिंह पाल, डॉ गौरी त्रिपाठी, डॉ अनुपम पांडे, चंद्रेश, मुकेश कुमार एडवोकेट, हेमंत चंद्रा,  अग्रवाल सहित विभिन्न विभागों के दो सैंकड़ा से अधिक विद्यार्थी एवम एनसीसी कैडेट्स उपस्थित रहे।