– फर्जी कार्यों में लिप्त ठेकेदार मैदान छोड़कर भागे
झांसी। मण्डलायुक्त अजय शंकर पाण्डेय का झांसी डिवीजन जल संस्थान के प्रति रूख काफी कड़ा एवं कठोर है। जल संस्थान की वर्षों से जंग लगी व अनियमितता पूर्ण कार्य प्रणाली पर मण्डलायुक्त का चावुक इतना कारगर सिद्ध हुआ है कि तमाम फर्जी कार्यों में लिप्त ठेकेदार मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए। हुआ यों कि मण्डलायुक्त को जल संस्थान की प्रथम समीक्षा में यह बताया गया कि जल संस्थान की देनदारियां बहुत अधिक हैं और बड़े लम्बे समय से पेन्डिंग हैं। इन देनदारियों के लम्बित रहने की बजह से जल संस्थान की साख पर असर पड़ता है और कार्य प्रणाली प्रभावित होती है। मण्डलायुक्त ने सबसे पहले इन देनदारियों को ही साफ-सुथरा करने के लिए चोतरफा घेराबंदी शुरू कर दी और निम्न कार्य योजना के साथ काम शुरू कर दिया। इसके तहत –
1- जल संस्थान के अधीन तीनों जनपद झांसी, जालौन एवं ललितपुर में ठेकेदारों एवं कर्मचारियों की लम्बित देनदारियों की अब तक सूचना प्राप्त की गयी। 2- सूचना प्राप्त होने पर मण्डलायुक्त ने निर्देश जारी किये कि सूचित की गयी देनदारियों की ओडिट टीम गठित करके जांच करायी जायेगी।
3- प्रारम्भिक जांच के पहले एक अवसर दिया जा रहा है कि जिनकी देनदारियां सदिंग्ध हैं, फर्जी हैं या हवा-हवाई हैं वे ठेकेदार/कर्मचारी स्वयं उन्हें वापस ले सकते हैं। इसके लिए 3 दिन का समय यानी 3 जुलाई 2021 की कट ऑफ तिथि निर्धारित की गयी है।
4- मण्डलायुक्त ने यह भी निर्देश दिये गये कि प्रत्येक ठेकेदार को अपनी देनदारियों के विषय में एक शपथपत्र भी देना होगा कि उनके द्वारा प्रस्तुत बिल पूर्णतया सही हैं। यदि शपथपत्र में कोई सूचना गलत पायी जाय तो उनके विरूद्ध कार्यवाही के लिए जल संस्थान स्वतंत्र है।
5- निर्देश दिये कि बिल के साथ एम.बी. की प्रति भी संलग्न की जाय और जिस रजिस्टर में दर्ज है उसका भी विवरण दिया जाय।
6- निर्देश दिये गये कि शपथपत्र के बाद प्राप्त होने वाली देनदारियों की पुनः जांच करायी जायेगी और यदि इसकी त्रुटिपूर्ण सूचना प्राप्त होती है तो फर्म को ब्लेकलिस्ट किया जायेगा। साथ ही आपराधिक मामलों में मुकदमा भी पंजीकृत कराया जायेगा।
7- मण्डलायुक्त के इन आदेशों से जल संस्थान में खलबली मज गयी और गलत कार्य में लिप्त लोग मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए।
8- मण्डलायुक्त के इन निर्देशों के बाद जल संस्थान के अन्तर्गत मण्डल के ठेकदारों की देनदारियाँ 7.86 करोड़ रह गयी है, जो मण्डलायुक्त की कार्यवाही के पहले 22.79 करोड़ थी। इस प्रकार सीधे 15 करोड़ की चपत जल संस्थान को लगने वाली थी वह विफल हो गयी है।
9- मण्डलायुक्त की कार्यवाही के बाद ठेकेदारों के बिलों की संख्या घटकर एक-तिहाई एवं ठेकेदारों की संख्या घटकर एक-चौथाई रह गयी है।
10- ठेकेदारों की देनदारियों के सम्बंध में कार्यवाही के बाद अब कर्मचारियों की देनदारी को साफ-सुथरा करने के लिए भी कार्यवाही चल रही है।
गौरतलब है कि झाँसी डिवीजन जल संस्थान, झाँसी की अनुरक्षण/सामग्री मद में फर्मों की देनदारियों के सम्बंध में निम्न विवरण के अनुसार सूचना शासन को प्रेषित की गयी थी :- (धनराशि लाख में)
नगरीय मद 1220.50 व ग्रामीण मद 1058.89 लाख रुपए। कुल योग 2279.39 लाख रुपए।
मण्डलायुक्त के सत्यापन के बाद अब स्थिति निम्नवत् है- सामग्री/अनुरक्षण (धनराशि लाख में)
मुख्यालय 321.942 के अलावा झांसी 190.686, ललितपुर 247.570, उरई 26.159 लाख रुपए। योग 786.357 लाख रुपए।