– हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटा हिन्दी साहित्य भारती
झांसी। हिन्दी साहित्य भारती जहां हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटा है वहीं हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए पूरे विश्व में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है जिसमें १५००० पत्रों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दिए जाएंगे। यह जानकारी यहां मीडिया से रूबरू होते हुए रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति व मार्ग दर्शक मंडल के सदस्य प्रोफेसर अरविंद कुमार एवं मुख्यालय प्रभारी निशांत शुक्ला ने दी। उन्होंने बताया कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने की मुहिम के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्य को संरक्षण देने के मकसद से हिन्दी साहित्य भारती की रविवार को 32 देशों की कार्यकारिणी घोषित की गई है। इसका ऐलान रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य प्रोफेसर अरविंद कुमार ने किया।
गौरतलब है कि हिन्दी साहित्य भारती का गठन 15 जुलाई 2020 को झांसी में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. रवींद्र शुक्ल ने किया था। यह संस्था देश के बाहर विश्व के 32 देशों में फैल चुकी है और देश के 27 राज्यों में इसकी कार्यकारिणी का गठन हो चुका है। संस्था में पूर्व राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. विष्णु पंड्या, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार सहित ग्यारह ख्याति प्राप्त लोग इसके मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं। हिन्दी भाषा को संविधान में राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने के मकसद से संस्था से जुड़े सदस्यों और विद्वानों की ओर से पन्द्रह हज़ार पत्र राष्ट्रपति को लिखने का लक्ष्य निर्धारित किया है। संस्था हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और हिन्दी भाषा को बहुमूल्य भाषा बनाने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है।
उन्होंने उद्देश्यों की जानकारी देते हुए बताया कि हिंदी साहित्य भारती को विश्व की सबसे बड़ी संस्था जिसका नाम गिनीज वर्ल्ड बुक में दर्ज हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ३२ देशों के साथ भारत के समस्त राज्यों में जिले स्तर की इकाइयां घोषित की जा चुकी हैं एवं आगे विश्व के प्रत्येक देश में संस्था की इकाइयां घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। एक शोध के अनुसार हिंदी विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जिसको प्रमाणित करने के प्रयास हमारी संस्था द्वारा किए जा रहे हैं। संस्था द्वारा जो साहित्यकार जनकल्याण के लिए लेखन करते हैं पर पुस्तकें छपवाने में असमर्थ हैं जिसकी वजह से अपनी बात समाज तक नहीं पहुंचा पा रहे ऐसे साहित्यकारों की पुस्तकों को हिंदी साहित्य भारती के प्रकाशन द्वारा
प्रकाशित करके समाज तक पहुंचाया जाएगा। हिंदी की व्यवहारिक रूप से स्वीकार्यता सब जगह पर उसी तरीके से हो जैसे अंग्रेजों द्वारा षड्यंत्र करके अंग्रेजी को फैलाया गया उसके लिए हिंदी साहित्य भारती निरंतर प्रयास करती रहेगी। इस दौरान हिंदी साहित्य भारती के कोषाध्यक्ष मयूर गर्ग एवं नीरज सिंह डायरेक्टर स्किल्ड इंडिया सोसाइटी भी उपस्थित रहे।