– बीयू में महिला जागरूकता पर विधिक कार्यशाला 

झाँसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के महिला अध्ययन केंद्र एवं बाबू जगजीवन राम विधि संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के अवसर पर महिलाओं से सम्बंधित कानूनों के प्रति जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधीश एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल के विधिक सलाहकार सी. बी. पाण्डेय रहे।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. वी. वैशम्पायन ने कहा कि कानून महिलाओं का पर्याप्त संरक्षण प्रदान करता है लेकिन आज जरूरत है कि महिलाएं उन कानूनों के बारे में जाने और उनका सही उपयोग करें. कई बार कानूनों का गलत उपयोग करने से समस्याएं भी पैदा हो जाती है।   कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व नयायाधीश सी. बी. पाण्डेय ने कहा कि महिलाओं का उत्पीड़न रोकने और उन्हें उनके हक दिलाने के बारे में बड़ी संख्या में कानून पारित हुए हैं। अगर इतने कानूनों का सचमुच पालन होता तो भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव और अत्याचार अब तक खत्म हो जाना था। लेकिन पुरुषप्रधान मानसिकता के चलते यह संभव नहीं हो सका है। भारत में महिलाओं की रक्षा हेतु कानूनों की कमी नहीं है। भारतीय संविधान के कई प्रावधान विशेषकर महिलाओं के लिए बनाए गए हैं। इस बात की जानकारी महिलाओं को अवश्य होना चाहिए।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विधि संकाय के प्रो. जितेन्द्र मिश्र ने बताया कि संविधान में महिलाओं के लिए बनाए गए प्रमुख कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में ही मादा भ्रूण को नष्ट करने के उद्देश्य से लिंग परीक्षण को रोकने हेतु प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 निर्मित कर क्रियान्वित किया गया। इसका उल्लंघन करने वालों को 10-15 हजार रुपए का जुर्माना तथा 3-5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। दहेज जैसे सामाजिक अभिशाप से महिला को बचाने के उद्देश्य से 1961 में ‘दहेज निषेध अधिनियम’ बनाकर क्रियान्वित किया गया। वर्ष 1986 में इसे भी संशोधित कर समयानुकूल बनाया गया। विभिन्न संस्थाओं में कार्यरत महिलाओं के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रसूति अवकाश की विशेष व्यवस्था, संविधान के अनुच्छेद 42 के अनुकूल करने के लिए 1961 में प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम पारित किया गया। इसके तहत पूर्व में 90 दिनों का प्रसूति अवकाश मिलता था। अब 135 दिनों का अवकाश मिलने लगा है। अतिथियों का स्वागत महिला अध्ययन केंद्र की संयोजिका डॉ अचला पाण्डेय ने व विषय प्रवर्तन डॉ. प्रशांत मिश्र ने किया। कार्यक्रम का संचालन शिल्पा मिश्र  ने किया व आभार नेहा मिश्र ने व्यक्त किया।