झांसी। विश्व संस्कृत दिवस की पूर्व संध्या पर राजकीय संग्रहालय, क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई ,क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र ,जीवनधारा फाउंडेशन एवं बुन्देलखण्ड इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व शोध समिति के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय संग्रहालय में संस्कृत साहित्य में महिला सशक्तिकरण विषय पर केन्द्रित संस्कृत संगोष्ठी का शुभारम्भ बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बाबूलाल तिवारी के मुख्य आतिथ्य, राजकीय महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी . बी. त्रिपाठी तथा क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ . एस . के . दुबे के विशिष्ट आतिथ्य एवं जीवनधारा फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार तिवारी एवं बुन्देलखण्ड इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व शोध समिति के महामंत्री रामप्रकाश गुप्ता की अध्यक्षता में मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया । संगोष्ठी में उपस्थित छात्र छात्राओं तथा अन्य गणमान्य नागरिकों को सम्बोधित करते हुए डॉ. बाबूलाल तिवारी ने कहा कि आज हमारे देश के अलावा विदेशों में भी संस्कृत भाषा पर शोध कार्य किया जा रहा है हमारे सभी वेद, पुराण, उपनिषद आदि संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं अतः हमें संस्कृत भाषा का सम्मान करना चाहिए, विशिष्ट अतिथि डॉ. बी . बी. त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत एकमात्र ऐसी भाषा है जिस पर हम भारतीय गर्व कर सकते हैं।संस्कृत साहित्य में अनेक विदुषी एवं वीर महिलाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वे प्रतिदिन उस दिन घटने वाली घटना को आधार बनाकर संस्कृत में एक श्लोक लिखते थे और परमपिता परमात्मा से इस वैश्विक महामारी से मुक्ति दिलाने हेतु प्रार्थना करते थे सौ श्लोक लिख जाने के बाद “कोरोनाशतकम” पुस्तक का रूप दिया गया , उन्होंने सभी संस्कृत प्रेमियों से पुस्तक पढ़ने का आहवान किया ,अध्यक्षता कर रहे प्रदीप कुमार तिवारी ने कहा कि हमारी संस्कृति तथा संस्कार संस्कृत में ही समाहित हैं उन्होंने आगे कहा कि जहां नारी का सम्मान होता है वहीं लक्ष्मी का वास होता है ।समाजसेविका डॉ. नीति शास्त्री ने कहा कि किसी भी मंत्र का जाप संस्कृत में करने से हम सभी के अन्दर साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ॐ के उच्चारण मात्र से बहुत से रोगों से मुक्ति मिल सकती है अतः हम सभी को संस्कृत भाषा का अध्ययन करना चाहिए ,।इतिहासकार रामप्रकाश गुप्ता ने संस्कृत को देववाणी बताते हुए नई पीढ़ी को संस्कारवान बनने हेतु संस्कृत भाषा का अध्ययन करना आवश्यक बताया तथा इसकी विदेशों बढ़ रही लोक प्रियता पर प्रकाश डाला।

मिशन शक्ति के तृतीय चरण के उपलक्ष्य में नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व कर रही रेल सुरक्षा बल की उपनिरीक्षक राजकुमारी गुर्जर ने कहा कि आज की बालिकाओं को भी संस्कृत का प्रारंभिक अध्ययन अवश्य करना चाहिए जिससे हम अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार दे सकें इस अवसर पर बुन्देलखण्ड में शिक्षा की अलख जगाने हेतु प्राचार्य डॉ .बाबूलाल तिवारी , कोरोना काल में लिखी गई “कोरोनाशतकम” पुस्तक के संस्कृत में लेखन हेतु संस्कृत के विद्वान प्राचार्य डॉ. बी. बी. त्रिपाठी तथा प्रकाशन हेतु जीवनधारा फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार तिवारी को शॉल ,श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया । बाद में अतिथियों ने समाजसेविका शालिनी गुरबक्शानी , महिमा जायसवाल तथा हाल ही में राष्ट्र गौरव सम्मान प्राप्त करने वाली एन सी सी की कैडेट हितिका यादव को शॉल, श्रीफल तथा देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मोहन नेपाली, सोम तिवारी, शालिनी गुरबक्शानी , महिमा जायसवाल, दीपक राठौर, अजय द्विवेदी, संजीव यादव, मनमोहन मनु, सुदर्शन शिवहरे, ऋषभ, मयंक कुमार , मुकेश रायकवार , मुकेश कुमार, तथा Bundelkhand महाविद्यालय के छात्र आदि उपस्थित रहे ।कार्यक्रम का संचालन अर्जुन सिंह चांद ने किया तथा क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एवं प्रभारी उपनिदेशक डॉ सुरेश दुबे ने आभार व्यक्त किया ।