– राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता‘‘ नर हो न निराश करो ……’’ पर वांछित अनुमति बगैर प्रयोग करना महंगा पड़ा
झांसी। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की बौद्धिक संपदा की कापीराइट रजिस्ट्रेशन होल्डर पारिवारिक प्रकाशन संस्था ‘साहित्य सदन’ प्रोप्राइटर आशीष कुमार गुप्त द्वारा न्यायालय जिला जज झांसी के समक्ष अटकन चटकन फिल्म के म्यूजिक कम्पोजर आनंदन सिवामनी तथा संगीत जगत के महानायक एवं भारत सरकार के पद्मविभूषण सम्मान से विभूषित को-प्रोड्यूसर ए०आर०रहमान एवं डायरेक्टर व लेखक सोम्य शिवहरे, प्रोड्यूसर विशाखा सिंह तथा मैनेजिंग डायरेक्टर जी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड के विरुद्ध इस आशय का दावा दायर किया है कि ‘‘राष्ट्रकवि की काव्य रचना ‘‘नर हो न निराश करो ……’’ का प्रयोग अटकन चटकन फिल्म में करने से पहले वैध कापीराइट रजिस्ट्रेशन होल्डर फर्म साहित्य सदन से वांछित अनुमति नहीं ली गई। फलस्वरुप उनके गौरवाशाली कापीराइट का हनन तथा आर्थिक क्षति तीन करोड़ होना बताया। लेकिन मात्र एक हजार एक राशि वसूली की मांग प्रतीकात्मक क्लेम की गई।’’
वादी फर्म साहित्य सदन के प्रोप्राइटर आशीष कुमार गुप्त की ओर से एडवोकेट कुशाग्र कनकने द्वारा प्रस्तुत असरदार तर्काें के बल के मद्देनजर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की काव्य रचना ‘‘ नर हो न निराश करो ……’’ का अनाधिकृत व अवैध उपयोग करने वाले अटकन चटकन फिल्म के डायरेक्टर व लेखक, प्रोड्यूसर, को-प्रोड्यूसर, म्यूजिक कम्पोजर व जी इंटरटेनमेंट को अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु झांसी जिला जज न्यायालय ने 9 दिसंबर 21 को तलब किया। उल्लेखनीय है कि हिंदी के प्रचार प्रसार की पवित्र व सात्विक भावना से अनुप्राणित कविबंधु द्वय राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त-संत कवि सिया राम शरण गुप्त द्वारा जन-जन तक राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत एवं मानवीय मूल्यपरक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने हेतु गृहग्राम चिरगाँव में अंग्रेजों के शासनकाल दौरान पुस्तक प्रकाशन फर्म साहित्य सदन की सन् 1909 में बादहू साहित्य प्रेस/मानस मुद्रण की स्थापना की थी। जिसके वर्तमान प्रोप्राइटर आशीष कुमार गुप्त हैं।













