झांसी। चिकित्सक की अति वृद्ध मां की हत्या के बहुचर्चित मामले में आरोप सिद्ध होने पर विशेष न्यायाधीश अनु.जाति और अनु. जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) इन्दु द्विवेदी की अदालत में दोनों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।

विशेष लोक अभियोजक कपिल करौलिया के अनुसार डॉ राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया था कि 05 जुलाई 2017 की शाम वह अपने सैयरगेट वाले निवास पर आया था जहां उसकी मां रहती थी। बाहर के स्टील के दरवाजे बिना कुण्डी के लगे थे। जिसे थोडा सा धक्का देने पर खुल गये थे तथा लकडी के दरवाजे खुले हुए थे। उसने देखा स्टील अलमारी जो सामने से दिखती है, मां के सोने वाले पलंग के बगल में रखी है, खुली थी तथा सामान सब बाहर निकला पडा था, कुछ सामान पंलग पर भी बिखरा था । उसने उसी समय आंगन में आकर देखा तो सामने अंदर वाले कमरे में रखी अलमारी भी खुली थी तथा सामान बाहर बिखरा पडा था । मां के न मिलने के कारण मां को आवाज लगायी परन्तु आवाज नहीं आयी। पुनः हाल में
आया तो मां पलंग के नीचे खून में लथपथ पड़ी थी। चीख-पुकार सुनकर मुहल्ले के लोग , चचेरे भाई आदि आ गये। मुहल्ले वालों ने मौके पर 100 नम्बर पर पुलिस को सूचना दी। तहरीर के आधार पर कोतवाली में धारा ४५२.३०२ भा. द. सं. के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया। विवेचना उपरांत पुलिस द्वारा आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। जहां प्रस्तुत साक्ष्यों एवं गवाहों के आधार पर विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि अभियुक्तगण ने वादी मुकदमा के घर में घुसकर उनकी मां की हत्या चाकुओ से कर दी थी। करीब 85 वर्षीय वृद्ध महिला को जिस तरह से मारा गया , वादी मुकदमा के साथ समाज के विरूद्ध भी एक जघन्य अपराध है। अभियुक्त प्रमोद जिस घर में काम करता था,उसी घर यह अपराध किया है, यह विश्वासघात भी है। अभियुक्तों को अधिक से अधिक दण्ड से दण्डित किया जाये। न्यायालय में अभियुक्त प्रमोद रायकवार पुत्र धनीराम रायकवार निवासी सुकुवां दुकवां कालोनी थाना नबावाद व अभिषेक सिंह चन्देल उर्फ बन्टी पुत्र भूपेन्द्र सिंह निवासी हाइड्रिल कालोनी को दोषी करार देते हुए दोनों को धारा 302 सपठित धारा 34 भा.द.सं. के अन्तर्गत सश्रम आजीवन कारावास व 20 -20 हजार रूपये अर्थदण्ड ,धारा 452 भा.द.सं. के अन्तर्गत 05-05 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 05-05 हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अर्थदण्ड की धनराशि अदा न किए जाने पर उन्हें 06-06 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अभियुक्तों को आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित किए जाने के कारण जुर्माने की धनराशि अदा न करने पर उनकी सम्पत्ति से वसूल की जायेगी। वहीं अभियुक्तों को धारा 3(2)5 एस.सी.एस.टी एक्ट में दोषमुक्त कर दिया गया।