पुरातत्विक धरोहर किले की पहाड़ी को अंतिम सांस तक खुदने नही देंगे :, भानु

झांसी। स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम दीपशिखा वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की कर्म भूमि झांसी के किले को ध्वस्त होने से बचाने किले के चारों तरफ पहाड़ी का स्वरूप बदलकर स्थायी निर्माण कराते हुए एक पाथ वे का अवैध का

 

र्य रुकवाने जा रहे बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय के साथ बड़ी संख्या में बुन्देली योद्धाओं को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया।
गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग झांसी सर्किल ने सूचना के अधीकार में बताया है कि “दुर्ग (किला) एवं दुर्ग के चतुर्दिक भूमि भी केन्द्रिय संरक्षित स्मारक रानी झांसी के किले का हिस्सा है जो कि भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय संरक्षित स्मारक की सूची में अधिसूचित है”। इस लिए संरक्षित किला व आसपास की भूमि का स्वरूप नहीं बदला जा सकता।

इसको दरकिनार कर झांसी के किले की पहाड़ी का स्वरूप तो बदला ही जा रहा है साथ ही साथ उसकी सुन्दरता भी समाप्त हो रही है। देश विदेश से आने वाले सैलानियों को जब महारानी लक्ष्मीबाई के किले के उस स्थल जहाँ से महारानी लक्ष्मीबाई घोड़े सहित कूदी थीं, उक्त बदली हुई पहाड़ी दिखाई देगी तो किसी को भी उसकी ऐतिहासिकता व सुन्दरता प्रतीत नहीं होगी। जनहित में यह मांग की गई है कि जो निर्माण कार्य पहाड़ी पर किया जा रहा है उसको तत्काल रूकवाया जाए वर्ना शीघ्र ही गांधी पार्क में सामूहिक अनशन प्रारम्भ किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब संघर्ष दो वर्गों में है एक महारानी लक्ष्मी बाई जी की विरासत को बचाने वालो का दूसरा वर्ग दूल्हा जू एवं पीर अली जैसे गद्दारों का।
विशेषज्ञों का दावा है कि जिस पहाड़ी पर किला बना है अगर उस पहाड़ी को किसी भी तरह का नुकसान होगा तो कालांतर में किला भी धसक सकता है। इसके मद्देनजर बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा का विरोध पथ वे या बगीचा बनाने के खिलाफ नही है पर महारानी झांसी की आन, बान व शान किला को बचाने का है। इसी लिए उसकी पहाड़ी काट कर किसी भी तरह कर निर्माण का अंतिम सांस तक कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ी को खोदे जाने से रोके जाने की लिए अगर जान भी देनी पड़े तो पीछे नही हटेंगे।

पहाड़ी पर काम रोकने के लिए अशोक सक्सेना, रघुराज शर्मा, हमीदा अंजुम, उत्कर्ष साहू, वरुण अग्रवाल, पंकज रावत, गिरजाशंकर राय कुँवर बहादुर आदिम, हनीफ खान, प्रदीप नाथ झा, ब्रजेश राय, अनिल कश्यप, गोविंद सोनकर, गोलू ठाकुर, रसीद कुरैशी, अन्नू मिश्रा, प्रेम सपेरा, गोविंद सोनकर, रामगुप्ता , विकास पुरी, नरेश वर्मा, प्रदीप गुर्जर, अनिल कुमार, कलाम कुरेशी , शंकर रायकवार, शिवम गौतम, प्रभु दयाल कुशवाहा, सुंदर ग्वाला ,सूरज यादव, अरुण रायकवार, विजय रायकवार , प्रदीप गुर्जर, बंटी द्विवेदी , दुली चंद्र , घनश्याम गौत्तम , जगमोहन मिश्रा, मंगल श्रीवास्तव ,मकबूल हुसैन सिद्दकी राजपाल सिंह बुंदेला आदि उपस्थित रहे। पुलिस ने इन सभी आंदोलनकारियों को हाउस अरेस्ट कर लिया। भानु का दावा है कि पुलिस व प्रशासन की इस दमनात्मक कार्रवाई से बुंदेले डरने वाले नहीं हैं। किले को बचाने न्यायालय की शरण ली जाएगी और जीवन न्यौछावर करने से भी नहीं चूकेंगे।