झांसी के ऐतिहासिक किले को बचाने भानु बैठे अनशन पर, हिला प्रशासन, दिया आश्वासन

झांसी। स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम दीपशिखा वीरांगना लक्ष्मीबाई के ऐतिहासिक झांसी के किले को बचाने के लिए जिंदगी दांव पर लगाए बुनिमो के अध्यक्ष भानु सहाय का आंदोलन उन तथाकथित नेताओं के लिए आइना है जो रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर अपनी राजनीति चमकाते हैं। भले ही ऐसे लोग भानु के आंदोलन का मजाक उड़ा रहे हैं, किंतु उन्होंने साबित कर दिया कि “अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है” जरूरत है ईमानदारी व निष्ठा के साथ लिए गए संकल्प की। सच्चे मन से बुंदेलखंड की लड़ाई लड़ रहे बुंदेले भानु ने यह कर दिखाया। साहू जागरण डॉट कॉम परिवार इस दुस्साहसी योद्धा को सेल्यूट करता है।

दरअसल, इस वीरोचित सम्मान के पीछे वह हकीकत है जिसे झांसी के वाशिंदे बड़े हल्के में ले रहे हैं। भानु और उनकी टीम सैंकड़ों वर्षों के इतिहास व प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की हुंकार का गवाह ऐतिहासिक झांसी का किला को बचाने में जुटी है। दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक्ट 2010 के अनुसार ” केंद्रीय संरक्षित स्मारक के प्रतिषिद्ध क्षेत्र के भीतर लोक परियोजना सहित किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नही होगी” सूचना के अधिकार के अंतर्गत पुरातत्व विभाग झांसी सर्किल ने बताया है कि ” झांसी दुर्ग एवं दुर्ग के चतुर्दिक भूमि भी संरक्षित स्मारक रानी के किले का हिस्सा है। जोकि भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय संरक्षित स्मारक की सूची में अधिसूचित है”। एक्ट का उल्लंघन करने पर 2 वर्ष की सजा तथा एक लाख जुर्माने का प्रावधान है।

उक्त प्रतिबंधों को दरकिनार/ उल्लंघन कर सौंदर्यीकरण के नाम पर झांसी के किले की नींव अर्थात किले के चारों ओर की पहाड़ी को खोद कर कमजोर किया जा रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि यदि पहाड़ी रूपी नींव की खुदाई नहीं रोकी गई तो किले का क्षरण होना तय है।

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय का कहना है कि उन्होंने पुरातत्व विभाग झांसी एव नगर निगम/ स्मार्ट सिटी विभाग से सूचना के अधिकार में पूछा कि किस प्रावधान के अंतर्गत किले की नींव पर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। दोनों विभाग एक दूसरे से अनुमति पत्र मांगे जाने की बात कह जर गुमराह कर रहे है। इस पर भानू सहाय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से नगर आयुक्त, महापौर, एवं पुरातत्व व स्मार्ट सिटी विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध पुरातत्व एक्ट के उल्लंघन की रिपोर्ट लिखे जाने का प्रार्थना पत्र दिया, किंतु उनके यह प्रयास नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हुए।

तक हार कर महारानी लक्ष्मीबाई जी के किले की पहाड़ी (नींव) पर अवैध निर्माण के विरोध में  न्यायालय CJM से धारा 156(3) के तहत, पुरातत्व विभाग, नगर निगम एव स्मार्ट सिटी के अधिकारियों पर FIR दर्ज करवाने का आवेदन किया। अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी।
*साथ ही किले की पहाड़ी(नींव) को खोद कर कमजोर करते हुए पुरातत्व एक्ट के विरुद्ध निर्माण कार्य को स्टे करवाने के लिए मा. न्यायालय जूनियर डिवीज़न में वाद दाखिल करवाया। अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।

जब दो मुकदमे दाखिल हो जाने के बाद भी पचकुंया की तरफ वाले किले के मैदान पर बड़ी मात्रा में निर्माण सामिग्री, बुलडोजर एव रोड रोलर भी ले जाकर काम की गति को तेज कर दिया गया तो भानु का ग़ुस्सा आसमान पर चला गया।
अवैध कार्य रुकवाने के लिए बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय अकेले ही खंडेराव गेट पर खंडेराव गेट चौकी के पीछे पाथ वे के लिए बनाई जा रही बाउंडरी वाल पर धरने पर बैठ गए। इसकी जानकारी मिलने पर प्रशासन बैकफुट पर आ गया। दोपहर बाद दो प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस धरना स्थल पर पहुंच गई और भानु से आंदोलन समाप्त करने की वार्ता की। उन्होंने आश्वस्त किया कि “पहाड़ी पर काम रोक दिया गया है” पहाड़ी पर किसी तरह का कार्य नही किया जाएगा। इस मामले में शुक्रवार को जिला अधिकारी के साथ बैठक तय हुई है। जिला अधिकारी एक मैजिस्ट्रेट को लगाकर पूर्ण जानकारी एकत्र करवाएंगे। न्यायालय के फैसले का भी इंतजार किया जाएगा। फिलहाल भानु ने आश्वासन पर आंदोलन स्थगित कर दिया है। उनका कहना है कि यदि काम नहीं रुका तो वह किले से कूद कर अपनी जान देकर काम रुकवाएंगे। वह बड़े दुःख से कहते हैं कि रानी झांसी के समय दूल्हा जू एवं पीर अली ने किले को बर्बाद किया, अब किले को बर्बाद करवा रहे है जुल्फिकार अली। उनका कहना है कि जुल्फकार इस निर्माण कार्य से सम्बद्ध अधिकारी है। धरना स्थल पर मोर्चा के अशोक सक्सेना, रघुराज शर्मा, हनीफ खान, गोलू ठाकुर, प्रदीप झा शुभम गौतम आदि शामिल रहे।