Jhansi । इस दौर में भी पालतू पशु और इंसान के बीच का रिश्ता अपनत्व भरा है। कोई माने या न माने पर यह सच है। इसका उदाहरण जालौन जिले के कुरोना गांव से सामने आया है। जिसमें एक युवती ने गुम हुई अपनी भैंसें के दुःख में आत्महत्या कर ली।

जालौन के कुरोना गांव निवासी बैनी केवट के घर में तीन भैंसें पली हुईं थीं, जिनकी देखभाल उनकी बेटी रजनी करती थी। उन्हें चारा देने से लेकर उनके पानी तक का इंतजाम रजनी ही करती थी। इसके चलते रजनी को भैंसों का साथ बहुत अपनत्व भरा लगता था और वह अपना ज्यादातर समय भैंसों के साथ ही बिताती थी।
परिजनों के अनुसार आठ जुलाई को भैंसें चरने के लिए छोड़ी थीं, लेकिन वे लौटकर वापस नहीं आईं। इससे रजनी परेशान होकर अवसाद में रहने लगी थी। इसके चलते 20 जुलाई को उसने घर में फांसी लगा ली। हालत गंभीर होने पर उसे उरई से झांसी मेडिकल कॉलेज लाया गया। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया।