झांसी/ लखनऊ। शिक्षा मानवीय दृष्टिकोण को व्यापकता प्रदान करती है ऐसे में शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी बनती है कि वह विद्यार्थियों को सीमित अफसरों मे बांधने की बजाए उन्हे शैक्षणिक विकास का वातावरण उपलब्ध कराएं। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के साथ एमओयू अनुबंध पर हस्ताक्षर के अवसर पर व्यक्त किये। भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति समिति कक्ष में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं कुलपति प्रोफेसर एन बी सिंह, कुलसचिव अजय कृष्ण यादव एवं अन्य शैक्षणिक अधिकारियों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस अनुबंध से निश्चित ही भाषा के क्षेत्र में शोध को नया आयाम मिलेगा। साथ ही दोनों विश्वविद्यालय के अनेक विभाग आपस में शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकेंगे।

इस दौरान ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन बी सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति एवं नैक मूल्यांकन में उच्च शैक्षणिक संस्थानों के बीच एमओयू का विशेष महत्व है। आज साधारण सी दिखने वाली यह गतिविधि आगे चलकर भारत को अग्रणी रूप से वैश्विक स्तर पर शैक्षणिक क्षेत्र में स्थापित करने में सहायक होगी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रतिनिधि एवं पत्रकारिता संस्थान के सहायक आचार्य डॉ कौशल त्रिपाठी एवं भाषा विश्वविद्यालय की मीडिया प्रभारी एवं जनसंचार पत्रकारिता संस्थान में सहायक आचार्य डॉक्टर तनु डंग की एमओयू क्रियान्वयन में विशेष भूमिका रही। दोनों ही शिक्षक आगे की गतिविधियों के लिए दोनों विश्वविद्यालयों के बीच संयोजक के रूप कार्य करेंगे।

इस अवसर पर अध्यक्ष IQAC प्रो सैयद हैदर अली कोऑर्डिनेटर नैक, प्रो सौबान सईद, निर्देशक शोध प्रो चन्दना डे, प्रो एहतेशाम अहमद एवं अन्य शिक्षक उपस्थित रहे।