झांसी। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के नाम पर स्थापित हिन्दी भवन में संचालित हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी और राष्ट्रकवि मैथिलीशरण शिक्षण संस्थान, चिरगाँव, झाँसी द्वारा संयुक्त रूप से प्रति वर्ष देश के साहित्यकारों में से एक साहित्यकार का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान हेतु चयन किया जाता है|

अब तक बुन्देली कथा साहित्य की चितेरी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा, पाठालोचन एवं संत साहित्य के अध्येता डॉ. कन्हैया सिंह, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के पूर्व कुलपति और प्रख्यात समीक्षक, नाटककार प्रो. सुरेन्द्र दुबे, संत साहित्य के मर्मज्ञ प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रख्यात समीक्षक प्रो. सदानंदप्रसाद गुप्त जी को यह सम्मान दिया जा चुका है |

देश के प्रख्यात साहित्यकार और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के जनक पूर्व शिक्षा मंत्री, भारत सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी को वर्ष 2022 के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से अलंकृत किए जाने का निर्णय राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सम्मान पुरस्कार चयन समिति द्वारा लिया गया है| इस हेतु राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती के अवसर पर आगामी 03 अगस्त, 2022 को सायंकाल 06:00 बजे बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के गाँधी सभागार में आयोजित समारोह में आपको उक्त सम्मान से विभूषित किया जाएगा| निशंक देश के जाने-माने साहित्यकार हैं, जिनके अब तक 15 कविता संग्रह, 17 कहानी संग्रह, 12 उपन्यास, 4 व्यक्तित्व विकास की पुस्तकें, 7 यात्रा वृत्तान्त, 4 पर्यटन ग्रंथ, 3 डायरियाँ और संस्मरण, 6 बाल साहित्य, 3 धर्म एवं संस्कृति पर आधारित साहित्य और 5 जीवनियां प्रकाशित हो चुकी हैं| आपकी राष्ट्रभक्तिपरक कविताओं की प्रशंसा भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने की थी और पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने निशंक को ‘हिमवंत का राष्ट्रीय कवि’ कहकर संबोधित किया था|

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, प्रतिभा पाटील, प्रणव मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन तथा प्रख्यात साहित्यकार प्रो. रामदरश मिश्र, अशोक चक्रधर और अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड भी उनके साहित्यिक योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा कर चुके हैं| उत्तर प्रदेश के नवीनतम बीए पाठ्यक्रम में उनकी देशप्रेम की कविताओं को स्थान दिया गया है तथा विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में भी उनकी कविताएं पढ़ाई जा रही हैं| निशंक जी के साहित्य पर अनेक शोधार्थी पी-एच.डी. कर रहे हैं और कर चुके हैं| ऐसे श्रेष्ठ साहित्यकार को वर्ष 2022 का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान दिया जा रहा है| यह जानकारी प्रो. पुनीत बिसारिया ने दी है।