मैथिलीशरण गुप्त परिवार व बुविवि के सहयोग एवं उत्तर प्रदेश सरकार के आर्थिक सहयोग से लेगा साकार रूप

झांसी। बुंदेलखंड की धरती पर बुंदेलखंड साहित्य सम्मान प्राप्त करने आए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने झांसी प्रवास के दूसरे दिन राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के गांव में उनके आवास का अवलोकन कर राष्ट्रकवि को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अपनी यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने चिरगांव में लेखक गांव की संकल्पना को साकार रूप देने के विषय में उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि लेखक गांव बनाने के लिए 5 एकड़ भूमि और आधारभूत संरचना राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। इस लेखक गांव आवासीय होगा और इसका उद्देश्य युवा एवं उदीयमान लेखकों की प्रतिभा को तराशना, उन्हें प्रशिक्षित करना, होगा। इसके लिए उन्हें फेलोशिप का भी प्रावधान किया जाएगा और उनके आवास की व्यवस्था की जाएगी। संरक्षण केन्द्र आदि की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इसमें बुंदेली संस्कृति और लोक कलाओं के संवर्द्धन हेतु लेखक कुटीर, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सभागार, पुस्तकालय,वाचनालय, आवास, अतिथि लेखक विश्राम गृह, पांडुलिपि डिजिटलीकरण केन्द्र आदि होंगे। हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पुनीत बिसारिया ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय जी के प्रेरक नेतृत्व में निशंक जी की इस परिकल्पना को साकार रूप दिया जाएगा और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का हिन्दी विभाग इसमें अकादमिक सहयोग प्रदान करेगा और इस आशय का विस्तृत प्रस्ताव शासन के समक्ष भेजा जाएगा।

विभाग द्वारा प्रस्तावित लेखक गांव में नियमित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे गांव में पर्यटन के अवसर बढ़ने के साथ ही चिरगांव को झांसी शहर की मुख्यधारा में जोड़ने में सहायता मिलेगी। सरकारी स्तर पर इस प्रस्ताव के लिए मौखिक सहमति हो गई है। जल्द ही राष्ट्रकवि की जन्मभूमि लेखकों के तीर्थ स्थल के साथ साथ साहित्य सृजन, मनन और शोध तीर्थ के रूप में भी विकसित होगा।