झांसी में पेशी पर आए गैंगस्टर लेखराज यादव को छुड़ाने की साजिश का आरोप

झांसी। आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी गरौठा के पूर्व सपा विधायक दीपनारायण सिंह यादव झांसी पुलिस की गिरफ्त में पहुंच ही गए। इसके साथ ही उनके पुत्र दीपांकर उर्फ मून को घर जाने दिया गया है। दीपनारायण पर 10 दिन पहले झांसी कोर्ट से पेशी कर वापस कन्नौज लौट रहे गैंगस्टर लेखराज यादव को छुड़ाने की साजिश करने का आरोप है। अब तक इस मामले में दीपनारायण के साले बृजेंद्र यादव, बृजेंद्र के साले अनिल यादव उर्फ मम्मा, सतपुरा के अमित कुमार पुत्र प्रताप सिंह, टिकरी के जवाहरलाल यादव पुत्र धनश्याम, सियानीपुर के सुरेंद्र पुत्र रामसिंह, सरोल के रहीश यादव पुत्र बृजभान, कोलवा के रितुराज पुत्र करण सिंह, मलखान शिवहरे, धीरेंद्र पाल, मुकेश कुमार समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

गौरतलब है कि लेखराज प्रकरण में दीपनारायण यादव का नाम आने के बाद झांसी पुलिस ने रविवार देर रात उनके घर व मून सिटी पर छापा मारा था। दीपनारायण घर पर नहीं मिले थे, उनके उनके बेटे मून यादव को पुलिस ने पूछताछ हेतु हिरासत में लिया था। इसके बाद दीपनारायण की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही थी।

पुलिस द्वारा बेटे के हिरासत में लिए जाने के बाद दीपनारायण यादव पुलिस गिरफ्त में पहुंच गए। इसके बाद पूछताछ कर पुलिस ने बेटे मून को छोड़ दिया। बेटे के हिरासत में लिए जाने के बाद पूर्व विधायक दीपनारायण पर दबाव था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव को नवाबाद थाने ले गई। उनको थाने के लॉकअप में डाल दिया गया। वहां पर काफी संख्या में समर्थक भी पहुंच गए। इसके बाद भारी पुलिस बल मौके पर बुला लिया गया। भारी पुलिस बल के साथ दीपनारायण को न्यायालय में पेश किया गया। इस दौरान न्यायालय परिसर छावनी बना रहा।

झांसी डीआईजी जोगेंद्र कुमार ने बताया कि 16 सितंबर को गैंगस्टर लेखराज यादव को कन्नौज जेल से झांसी की एससीएसटी कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट गेट के पास समर्थकों ने लेखराज को छुड़ाने की कोशिश की। फिर रास्ते में पुलिस वाहन को स्कॉर्पियों ने कई बार ओवरटेक किया और एक बार स्कॉर्पियों पुलिस वाहन के आगे अड़ा दी। डर के मारे कन्नौज पुलिस लेखराज को लेकर मोंठ थाने में घुस गई। इसके बाद वहां से रवाना हुई तो एट में लेखराज ने सिर मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की। इसके बाद कन्नौज पुलिस ने अपने उच्चाधिकारी को अवगत कराया। फिर भारी पुलिस बल के साथ लेखराज को कन्नौज ले जाया गया। पहले कन्नौज में केस दर्ज हुआ। इसके बाद नवाबाद में एफआईआर हुई।

पुलिस को सूचना मिली कि स्कॉर्पियों दीपनारायण सिंह यादव के साले मोंठ नगर पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव के घर पर खड़ी है। पुलिस पहुंची तो आरोपियों ने फायरिंग की और फरार हो गए। मोंठ में 6 आरोपियों पर केस दर्ज किया गया था। कन्नौज और नवाबाद थाना में दर्ज अभियोग में दीपनारायण यादव वांछित थे। दीपनारायण समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दीपनारायण पर 40 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं।

षडयंत्र के तहत फंसाया गया

पुलिस गिरफ्त में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए दीपनारायण सिंह ने बताया कि उन्हें लेखराज प्रकरण में साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अधिकारियों से बात कराने के नाम पर पुलिस ने बुलाया था, लेकिन धोखा दे दिया और गिरफ्तारी दिखा दी। दीपनारायण ने कहा कि सभी जानते हैं कि उनकी लेखराज से कभी नहीं बनी। जब उनकी पत्नी निवाड़ी से विधानसभा चुनाव लड़ रहीं थीं तब लेखराज सिंह ने उन्हें हरवाने के लिए फतवा जारी किया था। पूर्व विधायक ने कहा कि यह पूरा षड्यंत्र है, उनकी कोई भूमिका इस घटना में नहीं है, लेकिन पुलिस मनमानी कर रही है। उन्होंने गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत पर सीधा आरोप लगाया कि उनके इशारे पर ही यह सब हो रहा है। बता दें कि दीपनारायण व जवाहरलाल राजपूत के बीच विधानसभा चुनाव के दौरान विवाद हो गया था। दोनों ही नेता समय-समय पर एक दूसरे पर सियासी तीर छोड़ते रहे हैं, इस बार मामला गिरफ्तारी तक पहुँच गया है।