लंच बाद विभागीय कक्ष में अफसर की मौजूदगी ने रेल प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए 

झांसी। उमरे के झांसी मंडल कार्यालय में इन दिनों सीनियर डीपीओ का कार्यालय व कुर्सी मोह को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसके पीछे कार्यभार मुक्त होने के बाद भी अपने कार्यालय में उपस्थिति दर्ज कराना है।

दरअसल, मुख्यालय से 28 सितंबर को जारी आदेश के अनुसार झांसी से सीनियर डीपीओ राजेश कुमार गुप्ता का स्थानांतरण डिप्टी सीपीओ हेड क्वार्टर के पद पर और इनके स्थान पर डिप्टी सीपीओ हेड क्वार्टर बीके चतुर्वेदी को भेजा गया। स्थानांतरण आदेश जारी होने पर 29 सितंबर को डीआरएम द्वारा चार्ज छोड़ने के आदेश जारी कर दिए। इसके अनुपालन में उन्होंने सायं 5 बजे चार्ज छोड़ दिया। फिलहाल अभी चतुर्वेदी जी के ट्रेनिंग पर होने के कारण झांसी नहीं आए। उनका इंतजार किया जा रहा है।

यहां तक तो सामान्य था, किंतु झांसी में चार्ज छोड़ने वाला अफसर ने 30 सितंबर को लंच के बाद अचानक कार्यालय में उपस्थिति दर्ज कराई। उन्हें देख कर संबंधित विभाग ही नहीं आसपास के विभागों में मौजूद स्टाफ हतप्रभ रह गया और चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। इसके पीछे स्थानांतरित अफसर के अपने कार्यालय में अपनी सीट पर कथित रूप से काम निपटाना रहा।

इतना ही नहीं जितने समय तक वह अपने कक्ष में रहे उस दौरान उन्होंने विभागीय कतिपय स्टाफ को तलब कर खास “गुफ्तगू” व “कामकाज” का निस्तारण भी किया। हालांकि स्टाफ के कुछ कर्मी उनसे बचने के लिए गायब हो गए। चार्ज छोड़ने के बाद स्थानांतरित अफसर की कक्ष में कथित “गतिविधियां” सवालों के घेरे में रहीं। समझा जा रहा है कि इसकी जानकारी मंडल रेल प्रबंधक को नहीं हुई होगी क्योंकि यदि चार्ज छोड़ दिया गया है तो फिर कार्यालय में उस पद की हैसियत से उपस्थिति दर्ज कराना नियम विरुद्ध तो है ही साथ ही इस तरह की “परंपरा” भी नहीं है।

नियम विरुद्ध हुई उक्त गतिविधियों के पीछे क्या कारण रहा प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। इसका जवाब तलाशने व कहीं यह परम्परा न बन जाए इसके लिए जांच जरूरी है।