– बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में मशरूम दिवस पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित

झांसी। बुंदेलखंड विद्यालय झांसी के इंस्टीट्यूशंस इनोवेशन काउंसिल, माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसायटी महाराष्ट्र एवं मनपूरा फूड्स प्राइवेट लिमिटेड झांसी द्वारा मशरूम दिवस के मुख्य अतिथि डॉ प्रभात कुमार हॉर्टिकल्चर कमिश्नर, भारत सरकार ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर अपनी नई पहचान बना रहा है इसमें कृषि क्षेत्र को भी अपनी नई पहचान बनानी पड़ेगी। किसानों को खेती और आय के नए संसाधनों की तरफ रुझान करना पड़ेगा। मशरूम उत्पादन आधुनिक कृषि का एक उपक्रम है। भारत की जलवायु एवं पर्यावरण इसके अनुकूल है। वैश्विक स्तर पर इसकी मांग को पूरा करने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के साथ-साथ व्यवहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है।

विषय विशेषज्ञ डॉ रमेश चंद्र उपाध्याय, डीएमआरसी हिमाचल प्रदेश ने भारत में उत्पादित किए जाने वाले मजदूरों के प्रकारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत मशरूम उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन सकता है। उन्होंने मशरूम में सम्मिलित पोषण तत्वों के बारे में जानकारी दी। डॉ दयाराम आरपीसीएयू बिहार ने मशरूम के औषधीय गुणों पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि गठिया ब्लड शुगर एवं ब्लड प्रेशर जैसी अनेक वर्तमान जीवन शैली से जनित समस्याओं का समाधान मशरूम की उचित मात्रा में सेवन से है। डॉ एसके मिश्रा गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय उत्तराखंड मैं मशरूम के इस स्पाॅन उत्पादन के विषय में छात्रों एवं वैगनआर में जुड़े किसानों को जानकारी दी। स्पाॅन एक प्रकार से मशरूम का बीज होता है। जिससे मशरूम का उत्पादन किया जाता है। डॉक्टर अजय सिंह डायरेक्टर आरएमआरसी मुरथल ने बटन मशरूम के बारे में जानकारी दी। प्रवीण वर्मा डायरेक्टर मनपुरा प्राइवेट लिमिटेड ने मशरूम के माध्यम से किस प्रकार नए नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं इसके बारे में बताया उन्होंने बताया कि मशरूम से लड्डू बिस्किट पिज़्ज़ा अचार बनाने के साथ ही सब्जी के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके पूर्व संयोजक डॉ राजेश कुमार पांडे ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। अपराहन के सत्र में मशरूम पर कार्टून निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संचालन पत्रकारिता विभाग के सहायक आचार्य डॉ कौशल त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर संयोजक के रूप में डॉ संतोष पांडे डॉ अवनीश कुमार जय नारायण तिवारी, आयोजन सचिव डॉ कमलेश बिलगंइया, डॉ आरके वर्मा, डॉ कुसुम सिंह, डॉ गजाला रिजवी, डॉ गौरी खंनवालकर, डॉ ऋषि सक्सेना डॉक्टर सर्वेंद्र कुमार डॉक्टर चित्र गुप्ता डॉ प्रतिभा आर्य डॉ बलबीर सिंह डॉ सुनीता डॉ बृजेश के साथ देश भर से लगभग 800 छात्रों ने पंजीयन कर वेबीनार में भागीदारी की।