झांसी। अपर सत्र न्यायाधीश विकास नागर के न्यायालय में 14 वर्ष पुराने मामले में हत्या का दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।  रंजिश के चलते शराब में जहर मिलाकर पिला कर हत्या कर लाश बोरे में बंद कर फेंक दी गई थी।

शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह गौर व सुनील लिटौरिया ने बताया कि खुशीपुरा निवासी सूरज ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें बताया था कि उसका भाई विशाल उर्फ धर्मेंद्र उर्फ मामू अपने परिवार के साथ देवलाल चौबे के अखाड़े में किराये पर रहता था। एक मार्च 2008 की शाम तकरीबन पांच बजे भाई को मसीहागंज सीपरी बाजार निवासी मनोज अपने साथ ले गया था। इसके बाद उन्होंने रात में भाई को शराब में जहर मिलाकर पिला दिया था। इसके बाद भाई को खालसा स्कूल के पास ले जाया गया था। यहां भाई की मौत होने पर उसकी लाश बोरे में बंद कर फेंक दी गई थी। इसे कुछ लोगों ने देखा भी था।

पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था। अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद अभियुक्त मनोज को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा 10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया, जिसे अदा न करने पर अभियुक्त को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।