झांसी। श्री महंत मदन मोहन दास ने प्रवचन करते हुए कहा कि अभिमान है सारे दुखों का मूल। अभिमानों को त्यागना पड़ेगा तब भक्ति प्रकट होती है। सुखदेव जी इन सभी अभिमानोंव माया से पूर्ण मुक्त थे। इसलिए परीक्षित मुक्त हो पाए। परीक्षित ने प्रश्न किया कि आज आदमी धन के लिए व्यस्त है। सुबह से शाम तक सिर्फ रुपया कमाने में लगा है। अपने कल्याण के लिए उसके पास समय ही नहीं है। किसी से कहो भजन करते हो तो वह कहता है मरने के लिए भी फुर्सत नही है आप भजन की बात करते हो। उन्होंने कहा कि काम का स्मरण करते हुए भजन करते रहे आपके सारे काम अपने आप होंगे। प्रयास करके तो देखिए मेरे सदगुरु तेरी नौकरी सब से बढ़िया है सबसे खरी ।

महंत श्री के दरबार में भजन पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु झूम कर नृत्य करते रहे। इस अवसर पर परीक्षित पुष्पलता गौरी शंकर द्विवेदी ने पूजन किया। राष्ट्र भक्त संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष अंचल अरजरिया, चिरगांव के ध्रुव, शैलेंद्र, गुरसराय के धर्मेंद्र सोनी, हरिश्चंद मैथिल मुदगिल, प्रेम प्रकाश, सुशील शर्मा, पूरन तिवारी, सुरेश गुप्ता, मुकेश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।