बीयू के ललित कला संस्थान द्वारा प्रदर्शनी आयोजित 

झांसी। “कला हमको मनुष्य बनाती है। कला के माध्यम से कल्पना को साकार रूप प्रदान किया जाता है। यह मनुष्य के रचनात्मकता एवं सृजनात्मकता को अभिव्यक्ति प्रदान करने का माध्यम है।” उक्त विचार अंतरराष्ट्रीय बौद्ध केंद्र के अध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा ने ललित कला संस्थान द्वारा कैटलॉग लोकार्पण एवं प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन में सहजता, शालीनता और स्थायित्व के लिए कला महत्वपूर्ण है।

विशिष्ट अतिथि परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने कहा कि कला के बिना मनुष्य का विकास संभव ही नहीं है। ज्ञान और विज्ञान मनुष्य को संसाधन उपलब्ध कराता है लेकिन कला मनुष्य के जीवन को सुंदर एवं सार्थक बनाती है। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के उदाहरण से कला के महत्व के बारे में छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कला संकाय अध्यक्ष एवं ललित कला विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने कहां की नव का उन्मेष करने वाली प्रज्ञा ही कला है। कला के लिए व्यक्ति को लोक और शास्त्र का ज्ञान होना आवश्यक है।

इसके पूर्व समन्वयक ललित कला विभाग डॉ सुनीता ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि छात्रों द्वारा वर्ष भर किए गए कार्यों को प्रदर्शनी के रूप में अभिव्यक्त किया गया है। संचालन एवं आभार समाज कार्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ मुहम्मद नईम ने व्यक्त किया। इस अवसर पर कैटलॉग पत्रिका का विमोचन सभी गणमान्य अतिथि द्वारा किया गया। कार्यक्रम में ललित कला विभाग के डॉ बृजेश परिहार, डॉ अजय गुप्ता, पत्रकारिता विभाग के समन्वयक डॉ जय सिंह, डॉ कौशल त्रिपाठी, उमेश शुक्ला, गोविंद यादव कमलेश वीरेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे।