इप्टा का नामकरण प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ होमी जहांगीर भाभा ने किया – मुहम्मद नईम

झांसी। ” भारतीय संस्कृति को बचाने का काम इप्टा जैसे सांस्कृतिक आन्दोलन ही कर रहे हैं। इप्टा की कार्यशालाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से नई पीढी सांस्कृतिक मूल्यों के साथ- साथ सामाजिक एवं मानवीय मूल्य भी सीखती है। इप्टा सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की संस्कारशाला है।’’
उपरोक्त विचार भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) झांसी इकाई द्वारा अखिल भारतीय इप्टा की स्थापना दिवस के 80 वर्ष पूर्ण होने पर स्थापना दिवस को जन संस्कृति दिवस के रुप में मनाते हुए इप्टा झांसी के अध्यक्ष आर के वर्मा ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जन जागरूकता हेतु सांस्कृतिक अलख जगाना जरूरी है।
इस अवसर पर इप्टा झांसी इकाई के महासचिव संस्कृतिकर्मी डॉ मुहम्मद नईम ने कहा कि इप्टा आधुनिक भारत का पहला सांस्कृतिक आन्दोलन है। यह आन्दोलन आज भी चल रहा है और कई रूपों में, कई संगठनों की शक्ल में देश के विभिन्न हिस्सों में इसे देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इप्टा ने घोषणा की ‘‘कला की असली नायक जनता है।’’ इप्टा यानि भारतीय जन नाट्य संघ, नाम सुझाया, महान वैज्ञानिक डाॅ0 होमी जहाँगीर भाभा ने। उन्होेंनें कहा कि बंगाल का भीषण अकाल हो या फिर आजादी की लड़ाई या किसानों-मजदूरों का संघर्ष, इप्टा ने हमेशा आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया।
रंगकर्मी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि इप्टा सिर्फ कलाकारों का मंच नहीं बना, बल्कि इसमें वे सभी लोग शामिल हुए, जो जनसंस्कृति के पक्षधर थे और जन आंदोलन से जुड़े थे।
कलाम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी के सभागार में आयोजित इप्टा स्थापना दिवस समारोह के प्रारंभ में रंगकर्मियों ने इप्टा गीत बजा नगाड़ा शांति का, प्रस्तुत किया । इस अवसर पर भारत आजाद, राज सिंह, शारदा सिंह, नीरज अग्रवाल, अंशुल नामदेव, फरहत खान, मेघा, अमन कुमार, मो ईशान, रिफा नाज, अरमान खान आदि उपस्थित रहे। संचालन रोहित ने एवं आभार शेख अरशद ने व्यक्त किया।