150 साल पुराना महू-मोरटक्का मीटर गेज ट्रैक बंद

खरगोन। खरगोन जिले के बड़वाह में मंगलवार को भावुक कर देने वाले पल थे। करीब डेढ़ सौ साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का मीटर गेज रेलवे ट्रैक मंगलवार से बंद हो गया। ट्रेन आज अपने अंतिम सफर पर निकली तो स्टाफ भी बेहद इमोशनल हो गया। इस दौरान पुष्प हार लेकर लोग पहुंचे और भावुक होकर विदाई दी। अंग्रेजों के समय के मीटर गेज के रेलवे ट्रैक को अब ब्रॉड गेज में बदल दिया गया है।
गौरतलब है कि बड़वाह के इस मीटर गेज पर इन्दौर जिले के महू से खंडवा करीब 123 किलोमीटर तक ये ट्रेन चलती थी। इस ट्रेन से यात्री विशेषकर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिये मोरटक्का तक आते थे। इस इलाके की एक मात्र मीटर गेज ट्रेन को आज 31 जनवरी से रेलवे ने बंद कर दिया। अपने अंतिम सफर पर निकली मीटर गेज ट्रेन को अंतिम विदाई देने के लिए बडवाह रेलवे स्टेशन पर समाजसेवी और सैकड़ों नगरवासी पहुंचे।

ब्रिटिश- होल्करकालीन मीटरगेज ट्रेन अब आखिरी सफर के साथ इतिहास बन गई है। व्यापार और आवागमन का एक मात्र साधन रही मीटरगेज ट्रेन से लोगों का काफी भावनात्मक जुड़ाव रहा था। बड़वाह के प्रसिद्ध चिवड़े को राजस्थान और हैदराबाद तक पहचान भी इसी ट्रेन के माध्यम से मिली थी। मध्यप्रदेश की अकेली इस मीटरगेज लाइन का निर्माण सन 1874 से 1878 में ब्रिटिश सरकार ने होल्कर शासकों के सहयोग से करवाया था।

खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर डेढ़ सौ साल के सफर में हमसफ़र रही मीटर गेज ट्रेन को यात्रियों और इलाके के लोगों ने रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। इस दौरान लोगों के आंसू छलक पड़े। महू से ओंकारेश्वर तक चलने वाली ये ट्रेन यात्रियों को ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के दर्शन के लिए मोरटक्का तक पहुंचाती रही। अंग्रेजों के शासन काल में बनाए गए मीटर गेज के ट्रेक को अब ब्राड गेज में परिवर्तन किए जाने की प्रक्रिया प्राम्भ हो चुकी है. इसी कारण इस ट्रैक पर चल रही एक मात्र ट्रेन को भी 31 जनवरी से रेलवे ने बंद कर दिया है।

नागरिकों ने मोरटक्का और बड़वाह में ट्रेन के चालक और टीसी का पुष्प माला पहना कर स्वागत सत्कार किया। नागरिक इस ट्रेन के सफर के इतिहास होते देख उदास भी दिखे और इस बात पर खुशी भी प्रकट की। अब इस ट्रैक के ब्राड गेज परिवर्तन से उत्तर से दक्षिण को जोड़ता यह ट्रेक क्षेत्र में विकास के नए द्वार खोलेगा। नर्मदा नदी पर बने मजबूत रेलवे पुल को भी ध्वस्त कर ब्रॉडगेज के लिए नया पुल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

इस ट्रैक पर लोग आंध्रप्रदेश के कांचीगुडा से राजस्थान के जयपुर तक के सफर को आज भी अपने जेहन में रखे हुए है। मीनाक्षी एक्सप्रेस के नाम से चलने वाली इस ट्रेन की यादें आज भी लोगों के दिलो दिमाग में बसी हैं। विदाई देने पहुंचे बडवाह के बुजुर्ग समाजसेवी सोभागचंद सुराणा का कहना था कि जीवन में नही सोचा था कि ये ट्रेन बंद होगी. लेकिन खुशी इस बात की है कि आने वाले समय में बड़वाह ब्रॉड गेज में परिवर्तित ट्रेक से जुड़ जाएगा. मालवा निमाड़ के साथ दक्षिण क्षेत्र से जुड जाएंगे।

विदाई के अवसर पर रेल्वे ट्रैक के मौजूदा स्टाफ का कहना था कि खुशी इस बात की है कि नया ट्रैक बन रहा है. करीब 40 लोगों के स्टाफ को उम्मीद है जल्द नया ट्रेक शुरू होगा और काम पर लौटेंगे। अगर रहने को मकान मिल जायेगा तो कही भी जाकर सेवा दे सकते हैं। नया ट्रैक जल्दी बने यही उम्मीद है. बचपन से महू खंडवा ट्रेन में सफर करने वाले युवाओं का भी मानना था कि जल्दी से जल्दी नया ट्रैक बनना चाहिए।News18 India