कई कैमरे खराब/दिशाहीन, किशोरी का अपहरणकर्ता बेसुराग
झांसी। उमरे के वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन पर प्लेटफार्म व मुख्य प्रवेश द्वार आदि में लगाये गये 56 सीसीटीवी कैमरे में कई दिशाहीन व खराब होने से शो पीस बन कर यात्रियों की सुरक्षा पर तीसरी आंख की नजर के उद्देश्य में पलीता रूपी ग्रहण लगा रहे हैं, किंतु जिम्मेदारों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही।
कई तीसरी आंख के खराब या दिशा हीन होने का लाभ अपराधियों को सीधे सीधे मिल रहा है और अपराधियों को पकड़ने या खुलासे के लिए जांच एजेंसियां सर धुनती रहती हैं, किंतु किसी को इसकी चिंता नहीं है। जिम्मेदार अफसर कैमरे के खराब या दिशा हीन होने का ठीकरा एक दूसरे विभागों पर फोड़ते रहते हैं। इससे लगने लगा है कि वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे प्रशासन बिलकुल भी गंभीर नहीं है।
गौरतलब है कि यात्रियों की सुरक्षा व अपराधियों एवं उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नवंबर 2015 में उमरे के झांसी स्टेशन पर सभी प्लेटफार्म व मुख्य प्रवेश द्वार आदि चिन्हित स्थलों पर 56 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इनका कंट्रोल रूम स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 पर पुराने आरपीएफ पोस्ट के सामने बनाया गया था। कंट्रोल रूम का दायित्व आरपीएफ को सौंपा गया और कैमरे आदि के मेंटीनेंस का जिम्मा एसएंडटी विभाग को सौंपा गया है। हालत यह है कि तीसरी आंख से बचने के लिए ‘धंधेबाजों’ ने कतिपय स्थल के कैमरे या तो दिशाहीन अथवा खराब करवा दिए।
हालत यह है कि कंट्रोल रूम में खराब कैमरों के फुटेज दिखाई ही नहीं देते अथवा दिशाहीन कैमरों से वांछित स्थिति का पता नहीं चलता। इसका सीधा सीधा लाभ अपराधियों को मिलता है। इतना ही नहीं कभी कभी बड़े बड़े अपराध व अपराधी बच निकलते हैं। इसके कयी उदाहरण हैं, किंतु यहां हम “बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय ” कहावत को चरितार्थ करते हुए पिछले दिनों झांसी स्टेशन से किशोरी को फर्जी आरपीएफ इंस्पेक्टर द्वारा अपहरण कर दुराचार के प्रयास के मामले ने तीसरी आंख पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। किशोरी का अपहरण कर ले जाने वाला कथित आरपीएफ इंस्पेक्टर का हुलिया/चित्र, अपहरण में प्रयुक्त बाइक का रजिस्ट्रेशन नंबर आदि फुटेज में अभी तक सही रूप से प्रकाश में नहीं आ पाया है। इसके कारण आरपीएफ/ जीआरपी को जांच में परेशानी/ व्यवधान हो रहा है। बुधवार को भी जीआरपी टीम किशोरी को लेकर जांच पड़ताल करती रही। सीसीटीवी फुटेज खंगाले, किंतु कुछ भी हासिल नहीं हो पाया, अभी तक अगवा करने वाला अपराधी बेसुराग है।
झांसी मंडल रेल प्रशासन को इस ओर प्रथमिकता से ध्यान देकर तीसरी आंख को उपयोगी बनाया जाए ताकि अपराध, अपराधियों पर लगाम लग पाए और किशोरी के अपहरण की तरह कोई बड़ी वारदात नहीं हो।