न्यायालय ने सेवा के 2006 में हुए समझौते को सही पाया

झांसी। श्री श्री 1008 महाकाली विद्यापीठ मंदिर लक्ष्मी गेट बाहर की सेवा को लेकर विवाद के चलते मंदिर के प्रमुख पुजारी रहे स्वर्गीय श्री प्रेमनारायण त्रिवेदी के प्रपौत्र अजय त्रिवेदी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन श्रीमती दिव्या चौधरी की अदालत में स्वयं को मंदिर का अकेला प्रबंधक घोषित किये जाने एवं शेष प्रपौत्रों को प्रबंधन से बाहर किये जाने हेतु वाद दायर किया था और शेष प्रपौत्रों को उन्हें मंदिर के प्रबंधन कार्य में बाधा उत्पन्न करने से रोकने हेतु अस्थायी निषेधाज्ञा प्राथना पत्र दाखिल किया।

इसे न्यायालय ने सुनवाई के बात खारिज करते हुए अपने आदेश में 2006 में हुए समझौते को सही पाया इसके अनुसार स्वर्गीय पंडित प्रेम नारायण त्रिवेदी के चारों पुत्र अथवा पुत्रों के वारिसों को हर वर्ष चैत्र नवरात्रि से बारी बारी से एक वर्ष का प्रबंधन का कार्य मिलता था।प्रतिवादी संख्या 2 एवं 3 के अधिवक्ता गण रोहित गुप्ता एवं क्षितिज झारखड़िया ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वादी अजय त्रिवेदी ने गलत मंशा से फर्जी वसीयत के आधार पर उक्त वाद दायर किया था। न्यायालय ने उक्त अपंजीकृत वसीयत नामा को संदेहास्पद पाया एवं 2006 के समझौते को सही पाया।