नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्वारा उड़ीसा के पटाएत कुमार साहू को कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें देश के सबसे बड़े सम्मान में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उनके इस सम्मान से देश का साहू समाज गौरवान्वित है।

दिन में मेडिसिनल प्लांट की खेती और रात में लोगों का फ्री इलाज करने वाले ओडिशा के पतायत साहू के बारे में जानिए –
लुंगी और गमछा धारण करने वाले सादगी पसंद पतायत साहू को इस बार पद्मश्री पुरस्कार मिला है। पतायत साहू ओडिशा के कालाहांडी जिले के रहने वाले हैं. इनके गांव का नाम नान्दोल है। पतायत साहू ने अपने घर के पीछे 1.5 एकड़ ज़मीन में 3000 से भी ज्यादा medicinal प्लांट उगाए हैं। यह काम वे पिछले 40 साल से कर रहे हैं, पतायत साहू आर्गेनिक खेती पर जोर देते हैं। अपने प्लांट में वह कभी भी केमिकल फ़र्टिलाइज़र का इस्तेमाल नहीं करते। पतायत दिन में खेती करते हैं और रात में अपने औषधीय पौधे की मदद से वैद्य बन जाते हैं।पतायत साहू के खेत में जो 3000 प्लांट है उसमें से 500 उन्होंने भारत के अलग अलग जगह से संग्रह किये हैं. बाकी सब पौधे कालाहांडी के जंगल से संग्रह किए गए हैं। उनके बगीचे में ऐसे कई मेडिसिनल प्लांट हैं जो कहीं और नहीं मिलते

गौरतलब है कि देश में युगों-युगों से औषधीय उत्पादन और उपभोग हो रहा है। अभी तक हिमालय के पहाड़ी और बर्फीले इलाके ही औषधियों का भंडार माने जाते थे, लेकिन इनके बारे में जागरुकता बढ़ने से अब मैदानी इलाकों में इनकी खेती होने लगी है। उड़ीसा के कालाहांडी के रहने वाले 65 वर्षीय किसान पतायत साहू ने तो यह काम कई दशक पहले ही चालू कर दिया था।लोगों की बीमारी का इलाज करने के लिए श्री साहू किसी से पैसे की मांग नहीं करते। पतायत साहू ने घर के पीछे के हिस्से में कई औषधीय पौधे लगा रखे हैं जिनकी मदद से वे लोगों का इलाज करते हैं।

गौरतलब है कि उड़ीसा के पतायत कुमार साहू ने करीब डेढ़ एकड़ जमीन में हजारों औषधीय पौधे लगा रखे हैं। साहू ने अपने औषधीय पौधे का एक दस्तावेज भी बना रखा है। पतायत साहू का पूरा समय अपने 1.5 एकड़ के बगीचे में ही बीतता है. इस उम्र में भी पतायत साहू आपको मुंह जुबानी हर औषधि की डीटेल बता सकते हैं।हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में पतायत कुमार साहू का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि, “आज के दौर में जब कोरोना जैसे खतरे बढ़ गए हैं, पतायत साहू का यह कदम नेचुरल हेल्थ केयर और वेलबीइंग को बढ़ावा देने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। नेचुरल प्रोडक्ट्स हमारे स्वास्थ्य और संरक्षा के हिसाब से बेहतरीन है। 65 साल के पतायत साहू के पास डेढ़ एकड़ जमीन में 3000 से अधिक मेडिसिनल पौधे लगे हुए हैं। वह अपने गार्डन में औषधीय पौधों को बिना केमिकल और बिना फर्टिलाइजर के तैयार करते हैं।