झांसी। बुंदेलखण्ड अभियान्त्रिकी एवं प्रोधोगिकी संस्थान (बी आई ई टी) के वेतन भोगी कर्मचारियों ने संस्थान के निदेशक पर शोषण और प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाते हुये जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया और बाद में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर न्याय दिलाए जाने की मांग की।

संस्थान में विगत 20-22 वर्षों से चतुर्थ श्रेणी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रुप में कार्य कर रहे राम नारायण, हरनारायण, प्रकाश, धनीराम, जितेन्द्र, धीरेन्द्र व मोहन ने अपने परिजनों सहित कलेक्ट्रेट पहुंचकर धरना दिया और ज्ञापन के माध्यम से बताया कि प्रार्थीगण ने निदेशक से उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश पत्राँक वित्त (वेतनआयोग) अनुभाग-2/लखनऊ/-24 फरवरी 2016 का हवाला देते हुये सभी प्रार्थी गणों को विनियमित किया जाये। परंतु निदेशक महदय ने आश्वासन देकर टाल दिया और वर्ष 2010 के बाद संस्थान में नियुक्त हुये लोगों को विनियमित कर दिया गया। इसके खिलाफ प्रार्थी गणों ने मजबूर होकर वर्ष 2004 में श्रम न्यायालय की शरण ली। इससे नाराज होकर निदेशक और अधिकारीगण प्रार्थीगणों की सेवा समाप्त करने का षणयंत्र कर रहे है, मुकदमा वापस लेने का दबाब डाल रहे है और ठेकेदारी प्रथा के तहत कार्य करने पर विवश कर रहे हैं। प्रार्थीगणों को 1 जून 2023 को संस्थान से निकाल दिया गया है। यही नही धीरेन्द्र बाल्मीकि के साथ निदेशक पलक मोहन पांडेय व रविन्द्र कुमार ने गाली गलौज तथा जाति सूचक शब्दों से अपमानित भी किया और उसे 2 फरवरी 2023 को नौकरी से निकाल दिया है।
ज्ञापन के माध्यम से कर्नेमचारियों ने जिलाधिकारी से मांग की है की वह अनुसूचित जाति के गरीब व्यक्ति है उनके परिवार में आमदनी का कोई दूसरा जरिया नही है।उनकी सेवाओं को बहाल कराकर उन्हें विनियमित कराया जाये। बाद में पीड़ित कर्मचारी अपनी समस्या को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य से भी मिले उन्होनें इस सम्बंध में बी आई ई टी के अधिकारियों से वार्ता की । उन्होनें कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि यदि प्रशासन से उन्हें न्याय नही मिलता है तो कर्मचारियों के हितों के लिये संघर्ष किया जायेगा।