बुविवि के शिक्षा संस्थान एवं आईसीएसएसआर के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन 

झांसी। भारतीय संस्कृति एवं भारतीय ज्ञान परंपरा की जब भी चर्चा होती है भारत को एक विश्व गुरु के रूप में उल्लेखित किया जाता है। इसका प्रमुख कारण है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास वैज्ञानिकता के आधार पर हुआ है। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने शिक्षण संस्थान एवं भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित ‘सार्वभौमिक संस्कृति सुख और शांति भारतीय वैचारिक श्रेष्ठता को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि निश्चित इस संगोष्ठी से भारतीय ज्ञान परंपरा के नए मोती सामने आएंगे।

इसके पूर्व विभिन्न सत्रों में शोधार्थियों ने अपने शोध प्रस्तुत किए। प्रथम सत्र में शोधार्थियों ने सांस्कृतिक मूल्य और संचयी संस्कृति पर अपने शोध प्रस्तुत किए। सत्र की अध्यक्षता दयालबाग कॉलेज आगरा के प्रो एनपीएस चंदेल ने की। माधव गवर्नमेंट कॉलेज उज्जैन की प्रोफेसर शोभा मिश्रा ने विशिष्ट वक्तव्य भारतीय संस्कृति समन्वय में विश्वास करती है। सत्र संचालन अचला पाण्डेय ने एवं रिपोर्ट मनीष कुमार वर्मा ने प्रस्तुत की। दूसरा सत्र नई शिक्षा नीति में भारतीय सांस्कृतिक विरासत एवं सर्वेभवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया: पर आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि वसी मोहम्मद ने कहा की भारतीय सनातन संस्कृति सबको साथ लेकर चलने वाली है। यह अपने आप में संपूर्ण है। इस सत्र की अध्यक्षता गवर्नमेंट गर्ल्स डिग्री कॉलेज झांसी की डॉ अंजू लता ने की। विशिष्ट वक्तव्य केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के प्रोफेसर दिनेश चहल ने दिया। सत्र संचालन डॉ दीप्ति सिंह एवं रिपोर्ट नितिन पांडे ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण संगोष्ठी संयोजक डॉ काव्या दुबे एवं आभार आयोजन सचिव डॉक्टर सुनील त्रिवेदी ने दीया।

इस अवसर पर सर कुलसचिव सुनील सेन, डॉ बी बी त्रिपाठी, डॉ जितेंद्र सिंह, डॉ ऋषि सक्सेना, डॉ अतुल गोयल, डॉ शंभू नाथ सिंह, डॉ कौशल त्रिपाठी,डॉ भुवनेश्वर, डॉ दीप्ति, शिखा खरे, प्रतिभा खरे, अमिता कुशवाहा आदि उपस्थित रहे।