झांसी। जिले में मऊरानीपुर में एक बहू ने परंपराओं को दरकिनार कर बेटे का फ़र्ज़ निभाते हुए अपनी सास को मुखाग्नि देकर रुढि़वादी सोच पर कुठाराघात किया है। हालांकि तमाम रिश्तेदार मुखाग्नि देने के लिए तैयार थे मगर शीतल ने यह जिम्मेदारी खुद ही निभाते हुए समाज के सामने अनूठा उदाहरण पेश किया।

दरअसल जिले के मऊरानीपुर कस्बे के पुरानी मऊ मुहल्ला निवासी कृष्णा बाई (80) के पति की मौत बीमारी के चलते दस साल पहले हो गई थी जबकि पांच साल पहले उनके बेटे संतोष नारायण की भी मौत हो गई थी। इसके बाद से कृष्णा बाई अपनी विधवा बहू शीतल देवी (40) के साथ रह रहीं थी। दोनों सास-बहू छोटा-मोटा काम कर अपना गुजारा करती थीं। मुहल्ले के लोगों का कहना है कि दोनों में प्यार भी बहुत था। शीतल अपनी सास का पूरा ख्याल रखती थी।

वृद्धावस्था के चलते बीमारियों का शिकार बनने से लगभग एक महीने से कृष्णा बाई की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। इस दौरान बहू ने उनकी खूब सेवा की, परंतु वह बच नहीं पाईं और मंगलवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। इसकी जानकारी लगते ही उनके तमाम रिश्तेदार इकट्ठे हो गए। चूंकि, अब उनके परिवार में शीतल देवी के अलावा कोई नहीं बचा। ऐसे में कुछ लोगों ने अंतिम संस्कार की इच्छा जताई, परंतु शीतल इसके लिए राजी नहीं हुईं। उनका कहना था कि सास उन्हें अपने बेटे जैसा ही दुलार करती थीं। ऐसे में वह बेटे का फर्ज अदा करते हुए अपनी सास का अंतिम संस्कार करेंगी।

इस दौरान परंपराओं का हवाला देते हुए समाज के कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया, परंतु बहू पीछे नहीं हटी। मुक्तिधाम में पहुंचकर उन्होंने अपनी सास को विधिवत मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार किया। सभी बहू के द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना कर रहे हैं।