ठेकेदारों के चंगुल से बच कर भागे मजदूर ने सुनाई आप बीती 

झांसी। जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट पहुंचे कर्नाटक से बच कर झांसी आए एक पीड़ित सहित आदिवासी समाज के लोगों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कर्नाटक में बंधक लगभग 70 आदिवासी मजदूरों को मुक्त करा कर वापस झांसी लाने की मांग की। इस मामले में जिलाधिकारी ने पुलिस से रिपोर्ट तलब की है।

बताया गया है कि लगभग ढाई महीने पूर्व महाराष्ट्र के दो ठेकेदार पप्पू और अतुल झांसी के सकरार की आदिवासी बस्ती में पहुंचे थे। उन्होंने मुहल्ले के लोगों को बताया था कि महाराष्ट्र के पुणे में निर्माण कार्य के लिए मजदूरों की आवश्यकता है। रोजाना 400 रुपये दिहाड़ी दी जाएगी। साथ ही रहने खाने का भी इंतजाम किया जा जाएगा। इस पर बस्ती के 70 महिला व पुरुष उनके साथ चलने को तैयार हो गए थे। ठेकेदार सभी को ट्रक से महाराष्ट्र के पुणे जिले के थाना इंद्रापुरी के गांव पिपरी ले गया था। यहां वह लगातार दो महीने तक काम कराता रहा। मजदूरी मांगने पर उन्हें 50-100 रुपये थमा दिए जाते थे।

इसके बाद ठेकेदार पंद्रह दिन पहले मजदूरों को रात में ट्रैक्टर ट्रालियों में बैठाकर कर्नाटक ले गए। वहां उन्हें जिला बेलगाम के गांव हुकेरी में अस्पताल परिसर में बन रही पानी की टंकी के निर्माण में लगा दिया गया। यहां मजदूरों से सुबह से लेकर देर शाम तक काम कराया जा रहा है। उन्हें एक पैसा भी नहीं दिया जा रहा है। खाने-पीने का इंतजाम करने से भी ठेकेदार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। यहां तक के ईंधन के लिए ठेकेदार लकड़ी तक का प्रबंध नहीं कर रहा है। मजदूरों को भूखा रखकर उनसे पूरे दिन काम लिया जा रहा है।

बंधक मजदूरों में से एक नसीब खां किसी तरह ठेकेदारों के चंगुल से बचकर निकल आया। शुक्रवार को वह बस्ती के लोगों के साथ कलक्ट्रेट पहुंचा और जिलाधिकारी को अपनी पीड़ा बताई। उसने साथी मजदूरों को मुक्त कराने की मांग की।

सरकारी अस्पताल में हैं बंधक, महिला श्रमिकों के साथ दूधमुंहे बच्चे भी
शिकायतकर्ता ने बताया गया कि कर्नाटक में बंधक बनाकर रखी गईं कई महिला श्रमिकों के साथ दूधमुंहे बच्चे भी है। इसके अलावा पांच-छह साल के भी कई बच्चे हैं। श्रमिकों के हाथ में पैसा नहीं है और ठेकेदार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे भी खाने-पीने को मोहताज बने हुए हैं।

ठेकेदारों के चंगुल से बच कर आए मजदूर नसीब खां ने बताया कि वहां मजदूरों को एक सरकारी अस्पताल के परिसर में बंधक बनाकर रखा गया है। उन्हें परिसर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है और दिन भर उनसे काम लिया जाता है। वह बड़ी मुश्किल से बचकर निकल पाया। सड़क तक पहुंचने के लिए खेतों के रास्ते तकरीबन बीस किलोमीटर पैदल चला। हाथ में एक पैसा नहीं था, ऐसे में वह भूखा रहकर लोगों से मदद मांगते हुए किसी तरह झांसी पहुंचा। नसीब ने बताया कि कर्नाटक में फंसे मजदूरों के परिजनों का यहां बुरा हाल बना हुआ है। इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच करवा कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।