झांसी। बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय के नेतृत्व में 8 सांसदों को रजिस्टर्ड डाक से चूडिय़ां, बिंदी, महावर एवं काले झंडे को लिफाफे में रखकर ” जो बुंदेलखंड का नहीं वो किसी काम का नहीं ” के नारे लगाकर भेजा गया। इन आठ सांसदों ने बुंदेलखंड की शौर्य गाथाओं को नकार कर खून पतला होने की कहावत को चरितार्थ किया हैं।

भानु सहाय ने बताया कि गत लोकसभा (2014) चुनाव में झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राजनाथ सिंह एवं प्रधानमंत्री ने बुन्देलखण्ड राज्य 3 साल के भीतर बनवा देने का वादा बुन्देलखण्ड की जनता ने किया था। 3 साल की जगह 9 साल 9 माह पूरे हो गए है परंतु हमीरपुर सांसद को छोडकर किसी भी अन्य बुंदेली सांसद ने अपने नेताओं को वादा पूरा करने की बात नहीं कही।
इसी प्रकार अमित शाह ने कहा था कि बुन्देलखण्ड में अवैध खनन बंद कर दिया जाए तो हर बुन्देली को एक मारुति कार मिल जाएगी। ऐसा झूठ बोलकर अमित शाह ने बुंदेलियों की आस को चोट पहुँचाने का कार्य किया है।
भाजपा से ही महोबा-हमीरपुर सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल द्वारा प्रथक अखण्ड बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए संसद में रखा गया प्राइवेट बिल स्वीकार कर लिया गया पर अखंड बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अन्य आठ सांसदों ने बिल का समर्थन तक नहीं किया।
उन्होंने कहा कि अगर बुन्देलखंड क्षेत्र के आठों सांसदों ने बिल का समर्थन किया होता तो अभी तक कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती और बुंदेलखंड अस्तित्व में आ चुका होता। संसद का कार्यकाल पूरा होने को हैं पर इन आठ सांसदों क्रमशः भानू वर्मा, विष्णु दत्त शर्मा, अनुराग शर्मा, वीरेंद्र खटीक, प्रह्लाद पटेल, राज बहादुर सिंह, आर.के.पटेल, संध्या राय ने बुन्देलखण्ड की दो करोड़ जनता की भावनाओं का अनादर कर राज्य निर्माण का समर्थन नहीं कर अन्याय किया है।
उन्होंने कहा कि सांसद सत्र समाप्त हो जाने के बाद बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय के नेतृत्व में इन आठों सांसदों के प्रति बुंदेलियों का सब्र अब टूटता जा रहा है 2024 के चुनाव में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।
आठ सांसदों को चूडिय़ां भेजने वालों में एडवोकेट अशोक सक्सेना महामंत्री, रघुराज शर्मा प्रवक्ता, वरूण अग्रवाल कोषाध्यक्ष , हमीदा अंजुम, गिरजा शंकर राय, अनिल कश्यप जिलाध्यक्ष , प्रदीप झा, हनीफ खान, कलाम कुरैशी, नरेश वर्मा, प्रदीप गुर्जर, प्रेम सपेरा ,शंकर रायकवार, राजू सैन , मो शफीक, बादशाह कुरेशी, नूरजहां, आकाश दुबे टीकमगढ़ आदि उपस्थित रहे।