वैगन मरम्मत कारखाना झांसी में काव्य गोष्ठी में रचनाओं ने मन मोहा 

झांसी। मुख्य कारखाना प्रबंधक सभागार में वैगन मरम्मत कारखाना झांसी में राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य कारखाना प्रबंधक अजय श्रीवास्तवा “अजेय” ने कहा कि हिंदी ने हमें विश्व में पहचान दिलायी है। उन्होंने कहा कि जब हम हिंदी में सोचते हैं तो हमें अपना काम हिंदी में ही करना चाहिए। हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ- साथ भारत की राष्ट्र भी कहीं जाती है।

शुरूआत में मुख्य राजभाषा अधीक्षक सुनील कुमार पाठक ने पिछली बैठक के कार्यवृत्त पर समीक्षा की व एसके गुप्ता उप मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं उप मुख्य इंजीनियर ने राजभाषा के विकास पर पूर्ण रूप से कार्य करने और बढ़ावा देने की बात कहीं । गौरतलब है कि इस बैठक का मुख्य उददेश्य राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को रेल कारखाना में बढ़ावा देने और हिंदी में कार्यों की समीक्षा करना रहा । जिसमें समस्त विभागों तथा अनुभागों को हिंदी के प्रयोग का प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।

इस अवसर पर हुई कवि गोष्ठी में युवा साहित्यकार यतीश अंकिचन ने पढ़ा ” हिंदी – हिंदुस्तानियों के रोम रोम में रमी तो आती भला अन्य भाषा मेरी टाटिका में कौन ” , लोकप्रिय कवि कुलदीप नायक ने अपने गीतों से कार्यक्रम में नयी उंचाई प्राप्त की ” घर का बोझ इतना है ये झुर्रियां समझती है, सत्ता की लोलुपता बस कुर्सियां समझती है, बेटा है बुढ़ापे की लाठी मानते हैं सब पर बाप को है दर्द कितना ये बेटियां समझती है ” । प्रसिद्ध शायर न्याज महोबी ने गजल प्रस्तुत की ” हम तबाही के हालात सुनाये किसको, जख्में दिल गहरे है इतने कि दिखायें किसको, क्या करें, आग भड़कती तो दिल में सबके, जिन्दगी खुद ही चिता है तो जलायें किसको” । हास्य व्यंग के साक्षात हस्ताक्षर श्री एन. के. जैन ने पढ़ा ” अगर कहीं से शादी शुदा आदमी भी मांग भरता, हे ईश्वर क्या सारे लड़के जग में क्वांरे रहते । जबकि ब्रम्हादीन बन्धू ने होली के पावन पर्व पर बुन्देली रचना प्रस्तुत करते हुए कहा ” द्वेषभाव – ईर्ष्या को होलिका में हम जलाएं, आईये होली मनाएं “। कवियत्री और हिंदी की ख्याति प्राप्त उदघोषिका डॉ. नीति शास्त्री ने हिंदी को अंगीकृत कर उसे बोलचाल के साथ अपने जीवन में उतारने की बात कही । लोक भूषण पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रीय कवि श्री पन्नालाल ” असर ” ने अपने छन्दों और गीतों से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए ” नफरतों की आंधियों में प्रीत में लिख रहा हूँ, देखिये इस दौर में भी गीत ही में लिख रहा हूँ”।

कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मध्य प्रदेश के कादंबरी पुरस्कार से सम्मानित और मुख्य कारखाना प्रबंधक, अजय श्रीवास्तवा “अजेय” ने अपनी ख्याति प्राप्त रचना ” बाऊजी ” को जब पढ़ा तो सुनने वालों की आंखें नम हो गयी, संवेदनशीलता और जड़ों से जुड़ाव इस रचना में साफ नजर आ रहा था । गोष्ठी का संचालन वरिष्ठ सैक्शन इंजीनियर आफाक अहमद ने चुटकीले व सधे अंदाज में किया। अंत में आभार सुनील कुमार पाठक एवं एस.सी. कुरील द्वारा व्यक्त किया गया ।