गाँव आधारित फिल्मों पर परिचर्चा व नाटकों होगा मंचन, कवियों, शायरों और कलाकारों का होगा सम्मान

झांसी। गाँव की खूबसूरत तस्वीर और तंदुरुस्ती देनेवाली तासीर को जिंदा रखने की उद्देश्य से चौथे चार दिवसीय गाँव चलचित्र मेला का आयोजन जानेमाने फिल्म अभिनेता और रंगकर्मी आरिफ शहडोली के संयोजन में उनके आजाद गंज सीपरी बाजार स्थित आवास पर अनूठे अंदाज में प्रारंभ हुआ। मेला का उद्घाटन लोक संस्कृति कर्मी डॉक्टर रामशंकर भारती तथा मशहूर शायर शेरदिल ने किया। इस मौके पर दो खास शख्सियतों बुंदेली के वरिष्ठ कवि प्रताप नारायण दुबे तथा रंगकर्मी सिकंदर दतिया जनाब …को शायर “हाफिज मुनव्वर अली ” तथा बी एस कादरी पुष्प सम्मान से सम्मानित किया गया।

गाँव चलचित्र मेला के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए आरिफ शहडोली ने बताया कि 14 जून से लेकर 18 जून तक चलने वाले गाँव चलचित्र मेला में गाँव पर आधारित कविताओं का पाठ फिल्मों के प्रदर्शन, कहानियों, नाटकों आदि का मंचन इस मेले में किया जाता है तथा वरिष्ठ विद्वानों व कलाकारों को सम्मानित भी किया जाता है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे डा.रामशंकर भारती ने अपने उद्बोधन में गँवई संस्कृति के बारे में बताया कि एक जमाना था जब गाँव में मनोरंजन के साधन न के बराबर थे। तब न रेडियो हुए हुआ करते थे न टेलीविजन और न आज के आधुनिक मोबाइल। उस समय दादी-नानी के किस्से कहानियाँ से बच्चों में संस्कार देने तथा उनके मनोरंजन का काम करते थे। परंपरागत नाटक-नौटंकियों से, भजन मंडलियों रामलीला आदि से समाज को संस्कार व मनोरंजन प्राप्त होता था। इनमें उस जमाने में नौटंकी जैसी विधा बहुत मशहूर हुई। रामलीलाएँ दो-चार गाँवों के अंतराल पर आयोजित होतीं थीं। लोगों को संस्कारित करने के साथ ही स्वस्थ मनोरंजन देने के उद्देश्य से तीज-त्योहार परंपरागत ढंग से मनाए जाते थे। इसीके साथ ही गाँवों में होली, रक्षाबंधन, नवरात्रि दीवाली के सामूहिक उत्सव भी मनाए जाने का प्रचलन था। समाज में सर्वाधिक लोकप्रियता और मान्यता यदि किसी नाट्य विधा को मिली तो वह रामलीला थी। नौटंकी दोयम दर्जे पर थी। रामलीला मंचन का चलन शहरों से लेकर कस्बों और छोटे गाँवों तक था। जहाँ दर्शकों की भीड़ जुड़ती थी।आज उत्सवधर्मी संस्कृति गांव से विलुप्त होती जा रही है।

मुख्य अतिथि प्रताप नारायण दुबे ने कहा कि गाँव चलचित्र मेला लोक संस्कृति को जीवंत बनाने के लिए किया जा रहा है इसके लिए आरिफ शहडोली धन्यवाद के पात्र हैं। गाँव चलचित्र मेला समारोह से जुड़े शेरदिल ने सभी का आह्वान करता है कि समाज को जिंदा रखने के लिए जल संरक्षण करें, नदी, तालाब, कुआँ-बावड़ी आदि जलस्रोतों का संरक्षण करके पानी बचाएँ पेड़-पौधों, खेत-खलिहानों का संवर्धन,और लोकसंस्कृति के पुनरुत्थान के लिए गाँव चलचित्र मेला का आयोजन विगत चार सालों से किया जा रहा है।

इस मौके पर गांँव और लोकसंस्कृति पर आधारित काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शेर दिल दिल, विजय प्रकाश सैनी, प्रताप नारायण दुबे, ब्रह्मादीन बंधु, तेजभान बुंदेला आदि कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। अंत में आयोजक आरिफ शहडोली , मुबीन आरिफ मोंटी ने आभार व्यक्त किया।