झांसी । थाना प्रेम नगर क्षेत्र में नाबालिग से गैंगरेप की घटना जांच में फर्जी साबित हुई। मामले में पुलिस की भौतिक, वैज्ञानिक/तकनीकी साक्ष्यों से निर्दोष जेल जाने से बच गए और साजिश रचने वाले फंस गए। फर्जी गैंग रेप की घटना का सफल अनावरण करते हुए पुलिस द्वारा वादी, पीड़िता और पीड़िता की बुआ को हिरासत में लिया गया। गिरफ्तारी के संबंध में थाना प्रेमनगर पुलिस द्वारा विधिक कार्यवाही की जा रही है।
दरअसल 21 अगस्त को वादी मनीष परिहार द्वारा थाना प्रेमनगर पर प्रार्थना-पत्र देते हुए आरोप लगाया गया है कि 20 अगस्त को उसके मामा की लड़की सुबह 06:00 बजे शौच के लिए काशीनगर के खेतों में गई थी। उसी समय गाँव के 3 युवक लड़की को जबरदस्ती उठाकर ले गए, उसके साथ दुष्कर्म किया तथा करौंदी माता मंदिर के पास (थानाक्षेत्र रक्सा) छोड़ दिया। इस तहरीर के आधार पर थाना प्रेमनगर पर धारा 137(2)/70(2) बीएनएस व 5g/6 पॉक्सो एक्ट के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया।
उक्त गंभीर प्रकृति के अपराध के तत्काल अनावरण हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक झाँसी द्वारा अलग- अलग टीमों का गठन किया गया। पुलिस द्वारा इस मामले में पीड़िता तथा अभियुक्तगण की सीडीआर का विश्लेषण किया गया। घटना के सत्यता की जाँच हेतु पुलिस द्वारा घटना स्थल के आस-पास व झाँसी शहर के अलग-अलग सीसीटीवी फुटेज को चेक किया गया, जिसका विवरण निम्नवत है-
1. घटना स्थल के पास मौजूद प्रभुदयाल अहिरवार पुत्र खुमान अहिरवार निवासी ग्राम डगरिया थाना प्रेमनगर जो वर्तमान में ग्राम प्रधान है के घर लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज चेक किया गया, जिसमें पीड़िता द्वारा बताए गए घटना के समय सुबह 05:30 बजे से 11:00 बजे तक कोई भी चार पहिया सफेद वाहन नहीं दिखायी दी।
2. पीड़िता द्वारा सुबह लगभग 07.00 बजे रिलाइंस पेट्रोल पंप के पास से ऑटो (UP93CT2625) चालक अब्दुल जफ्फार उम्र करीब 47 वर्ष पुत्र हकीमउद्दीन निवासी खैलार थाना बबीना जनपद झाँसी पर बैठकर 07.20 बजे जेल चौराहे पहुँची, जिसकी पुष्टि अब्दुल जफ्फार उपरोक्त ने अपने बयानों में की है तथा इस संबंध में सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध है।
3. पीड़िता द्वारा सुबह 07.21 बजे जेल चौराहा स्थित दुबे भोजनालय के कर्मचारी बलवीर सिंह पाल उम्र 44 वर्ष पुत्र भूरेपाल के मोबाइल नंबर से अपने गाँव के पड़ोसी दिलीप पटेरिया को अपने घर पर बात करने हेतु फोन लगाने का प्रयास किया गया, परंतु फोन नहीं लगा। साक्ष्य के रूप में बलवीर सिंह का कथन, सीसीटीवी फुटेज तथा मोबाइल का स्क्रीन शॉट उपलब्ध है।
4. तत्पश्चात पीड़िता पैदल चलकर सुबह 07.31 बजे इलाइट चौराहा, 07.37 बजे जीवनशाह तथा 07.54 बजे किला होते हुए मिनर्वा चौराहा पहुँची तथा 08.22 बजे तक मिनर्वा चौराहा व उसके आस-पास घूमती रही, जिसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से हो रही है।
5. तत्पश्चात पीड़िता पैदल चलकर छोटी काली मातामंदिर के पास खुशीपुरा पर मौजूद मयंक ठाकुर पुत्र बाबूलाल ठाकुर की दुकान पर पहुंची, जहाँ से उसने आर्टिफिशियल एक जोड़ी पायल व बिछिया खरीदी तथा मयंक ठाकुर उपरोक्त के मोबाइल से अपने पुरुष मित्र जो उसके गाँव का रहने वाला है उससे कहा कि तुम मुझसे मिलने के लिए किले पर आ जाओ मैं वहाँ तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ। उक्त तथ्यों की पुष्टि मयंक ठाकुर के कथन तथा वहाँ उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज तथा पुरुष मित्र के कथन से हो रही है। 06. तत्पश्चात पीड़िता पैदल चलकर मिनर्वा होते हुए किले के मुख्य द्वारा पर पहुँची तथा वहाँ 09.15 बजे रो 09.41 बजे तक एक बेंच पर बैठी रही तथा अपने पुरुष मित्र का इंतजार करती रही। उक्त तथ्य की पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से हो रही है।
07. अपने पुरुष मित्र के न आने पर पीड़िता मिनर्वा चौराहे से ऑटो पर बैठकर 10.05 बजे जेल चौराहे आई तथा जेल चौराहे से 10.13 बजे ऑटो (UP 93 BT 4388) चालक फूलसिंह पुत्र भैयालाल वंशकार पर बैठकर हँसारी पहुँचकर अपनी बुआ के यहाँ पहुँची। उक्त तथ्य की पुष्टि चालक फूलसिंह उपरोक्त के बयान, उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज से हो रही है।
08. बुआ फूलवती पत्नी राजकुमार परिहार के यहाँ पहुँचने पर पीड़िता द्वारा शुरुआत में घर से अपने जाने तथा गायब रहने का कारण घर वालों को नहीं बताया गया। परंतु, परिवारीजन द्वारा बार-बार दबाव बनाने तथा गायब रहने का कारण घर वालों को नहीं बताया गया। परंतु, परिवारीजन द्वारा बार-बार दबाव देने पर पीड़िता ने बताया कि वह अपने पुरुष मित्र के साथ परिवार के साथ कहीं जाना चाह रही थी, परंतु पुरुष मित्र उसे लेने नहीं आया। तब पीड़िता की बुआ फूलवती उपरोक्त, फूलवती के पुत्र (वादी मुकदमा, मनीष परिहार उपरोक्त) ने पीड़िता को समझाया कि यह सही अवसर है। हम लोग मिलकर तुम्हारे गाँव के सोनू भार्गव तथा मनीष पाण्डेय से पैसे वसूल सकते हैं। तुम उनके खिलाफ गैंग रेप का मुकदमा लिखा दो। तब ये सभी एक राय होकर उक्त झूठा मुकदमा थाना प्रेमनगर पर पंजीकृत कराया।
विवेचना के दौरान उपलब्ध वैज्ञानिक व तकनीकी साक्ष्यों से वादी मुकदमा तथा पीड़िता द्वारा बताई गई कहानी पूर्णतः झूठी पाई गई। विवेचना में धारा उपरोक्त का लोप करके नामित अभियुक्तों की नामजदगी गलत करते हुए पीड़िता (बाल अपचारी), फूलवती (पीड़िता की बुआ), मनीष परिहार (पीड़िता की बुआ का लड़का/वादी मुकदमा) को हिरासत में लेकर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है।