• बीएस-सी व डिप्लोमा उत्तीर्ण को द्वितीय वर्ष में प्रवेश मिलेगा
  • बीयू विद्या परिषद् एवं कार्य परिषद् ने लिये महत्वपूर्ण निर्णय
    झांसी। इन्टरमीडिएट कृषि विज्ञान से उत्तीर्ण छात्र अब बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा अभियंात्रिकी एवं तकनीकी संस्थान के अन्तर्गत संचालित खाद्य तकनीकी विभाग के बी.टेक.-फूड इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी पाठयक्रम में प्रवेश ले सकेंगे। इसके अतिरिक्त लेटरल इण्ट्री के रूप में 50 प्रतिशत अंकों से उ.प्र.के डिप्लोमा एवं बी.एस-सी. उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी उक्त पाठयक्रम के द्वितीय वर्ष में सीधे प्रवेश हेतु अर्ह माने जायेंगे।
    बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष-अभियांत्रिकी प्रो.एस.के.कटियार ने जानकारी दी कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की विद्या परिषद की सम्पन्न बैठक मे उक्त निर्णय लिये गये हैं। प्रो.कटियार ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बढ़ती हुयी संभावनाओं, केंद्र तथा रा’य सरकारों द्वारा इस क्षेत्र के विकास के लिए लगातार दिए जा रहे प्रोत्साहन, छात्रों में फूड अभियांत्रिकी एवं तकनीकी के क्षेत्र में बढ़ती हुयी रूचि को देखते हुए, बुन्देलखण्ड क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने तथा भविष्य में बड़ी संख्या में आने वाली फूड इंजीनियर्स तथा टेक्नोलॉजिस्ट्स की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय विद्या परिषद् द्वारा उक्त महत्वपूर्ण कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसके साथ ही विद्या परिषद् द्वारा लिये गये कई महत्त्वपूर्ण निर्णयेां के साथ आज कार्य परिषद् द्वारा उक्त निर्णयों का अनुमोदित कर दिया गया है।
    प्रो.कटियार ने बताया कि विद्या परिषद् द्वारा ‘अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थानÓ में संचालित बी.टेक. फूड टेक्नोलॉजी उपाधि का नाम में संशोधन करते हुए इसे बी.टेक.-फूड इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी कर दिया गया है तथा इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु शैक्षिक अर्हता में संशोधन करते हुए अब इंटरमीडिएट-कृषि के अभ्यर्थियों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि अभी तक इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए इंटरमीडिएट-गणित अथवा जीवविज्ञान ग्रुप से उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही प्रवेश ले सकते थे। उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट-कृषि केछात्र कृषि उपजों का विभिन्न रूप में अध्ययन करते हैं। यही कृषि उपजें खाद्य प्रसंस्करण के लिए क’चे माल के तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं, जिनकी गुणवत्ता पर ही प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता निर्भर करती है । इसके अतिरिक्त इंटरमीडिएट-कृषि के छात्र पोस्ट-हार्वेस्ट प्रोसेसिंग तथा खाद्य प्रसंस्करण के मूलभूत सिद्धांतों का भी अध्ययन करते हैं । अत: बहुत से इंटरमीडिएट-कृषि के छात्र फूड इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी की विधा में रूचि रखते हैं, परन्तु अभी तक आवश्यक अर्हता में शामिल ना होने के कारण इस पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं ले पाते थे। विद्या परिषद् के इस निर्णय के बाद अब ऐसे सभी छात्र इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर फूड इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भविष्य निर्माण कर सकते हैं।