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लोको पायलट को इमरजेंसी ब्रेक लगा कर रोकना पड़ी ट्रेन

स्टेशन से 400 मीटर दूरी पर पड़ा था सिलेंडर

कानपुर (संवाद सूत्र)। रविवार तड़के मुंबई से कानपुर की ओर आ रही 12534 पुष्पक एक्सप्रेस के लोको पायलट एके भसीन ने कानपुर के गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर फायर इंस्ट्रीग्यूशन (अग्निशमन गैस सिलेंडर ) पड़ा देख कर खतरा भांपा और आकस्मिक ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक दी। इसके बाद तुरंत कंट्रोल को मैसेज किया। जांच पड़ताल में पता चला है कि यह रेलवे सेफ्टी सिलेंडर है जो ट्रेनों में आग से बचाव के इस्तेमाल में आता है। चालक ने सिलेंडर को अपने केबिन में रखा और कानपुर सेंट्रल पर आरपीएफ को सौंप दिया। बता दें कि 45 दिन में के अंदर ये चौथी बार हुआ है जब कानपुर में ट्रैक पर सिलेंडर मिला है।

फिलहाल रेलवे पुलिस और कैरिज एंड वैगन विभागों ने इसकी सूचना दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पुष्पक गाड़ी के पहले इस मार्ग से 22538 कुशीनगर एक्सप्रेस गुजरी थी। उसी ट्रेन से यह सिलेंडर गिरा होगा। यह ट्रेन गोरखपुर जाती है। अब जांच इस बात की हो रही है कि ट्रेन से सिलेंडर आखिर कैसे गिरा या किसी यात्री ने तो शरारतन सिलेंडर को नहीं गिराया?

बताया गया है कि पुष्पक एक्सप्रेस भीमसेन से कानपुर सेंट्रल की तरफ बढ़ रही थी। गोविंपुरी स्टेशन अभी वह पहुंचने ही वाली थी कि 400 मीटर पर ट्रैक पर सिलेंडर दिखाई दिया। इस पर लोको पायलट ने बिना देर ट्रेन रोकी सुबह 4:14 बजे कंट्रोल को सूचना दी। इसके बाद असिस्टेंट के साथ चेक किया तो सिलेंडर पर इश्यू होने की तारीख लिखी थी। आरपीएफ ने कैरिज एंड वैगन विभाग को सिलेंडर दे दिया है। रेलवे ने सिलेंडर गिरने की सच्चाई जानने के लिए तीन सदस्यीय संयुक्त कमेटी गठित की है। बाकी जांच सुरक्षा बल और जिम्मेदार अनुभाग करेंगे।

जांच के दायरे में ये सवाल
ऐसे गैस सिलेंडर ट्रेनों में पत्ती से बंधे होते हैं तो कैसे गिरा
ट्रेन चलने पर अटेंडेंट इनको चेक करता है, बंधे है कि नहीं
एसी कूपों में अटेंडेंट और इलेक्ट्रिशियन की भी ड्यूटी रहती है
किसी शरारतीतत्व ने गिराया तो ट्रेन स्टाफ को क्यों नहीं पता चला
एनसीआर जोन की परिधि में ही ट्रैक पर सिलेंडर मिलना संयोग या साजिश

गोरखपुर से इश्यू हुआ था फायर सिलेंडर
रेलवे की विभागीय जांच में पता चला है कि गोविंदपुरी स्टेशन की होल्डिंग लाइन पर पड़ा मिला सिलेंडर गोरखपुर जोन से जारी हुआ था। इस वजह से रेलवे अफसरों का मानना है कि इस ट्रैक से गोरखपुर जाने वाली किसी ट्रेन से ही सिलेंडर गिरा है। इसके लिए गोरखपुर कंट्रोल को मैसेज किया गया है ताकि सही पता चल सके कि यह सिलेंडर किस ट्रेन का है।

हर ट्रेन में होते 22 से 24 सेफ्टी सिलेंडर
मेल, एक्सप्रेस की एक ट्रेन में औसतन 22-24 रेल सेफ्टी गैस सिलेंडर रखे जाते हैं। चालक केबिन में चार, गार्ड केबिन में दो और ट्रेन के हर एसी कूपे में दो सिलेंडर होते हैं। ये सभी सिलेंडर गैलरी में पत्ती की क्लिप से बांधकर रखे जाते हैं।

45 दिन में चौथी घटना दे रही कई संकेत

16 अगस्त-झांसी रूट पर पनकी फैक्टरी एरिया के सामने ट्रैक में बोल्डर बांधा तो साबरमती के सभी डिब्बे डीरेल हो गए। जांच जारी।
08 सितंबर फर्रुखाबाद रेलमार्ग पर बर्राजपुर और उत्तरीपुरा स्टेशनों के बीच मुंडेरी गांव के सामने ट्रैक पर गैस सिलेंडर,पेट्रोल भरी शीशी और अन्य सामान बरामद। पुलिस,आईबी जांच कर रही। जांच जारी।
22 सितंबर- कानपुर सेंट्रल से फतेहपुर के बीच प्रेमपुर स्टेशन की लूपलाइन पर खाली गैस सिलेंडर रखा। मालगाड़ी चालक ने ट्रेन रोक ली। जीआरपी जांच कर रही है। नतीजा शून्य।
29 सिंतबर- गोविंदपुरी स्टेशन की होल्डिंग लाइन पर मिला रेल सेफ्टी गैस सिलेंडर। जांच को कमेटी बनी।