झांसी। बजरंग कॉलोनी में रुद्र महायज्ञ व मंदिर में भगवान की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवत आचार्य हरिवंश दास महाराज ने कहा की भगवत प्राप्त संत जो निरंतर भगवान नाम जप में लगे रहते हैं के समीप जाने से ही भक्ति का प्रकटीकरण व्यक्ति के अंदर होना शुरू हो जाता है। रानी रत्नावती का चरित्र सुनाते हुए कहां की उसकी दासी बीच-बीच में रानी की सेवा करते हुए जय वृंदावन जय गोविंद बोलती थी। रानी भी एक दिन सत्संग में चली गई। जब लोगों ने राजा को बताया तो राजा ने रानी से कहा की मर्यादा लांघकर ना जाएं परंतु रानी का मन नहीं मानता था और सत्संग में चली जाती थीं। एक बार राजा किसी काम से नाव में सवार होकर जा रहा था कि नाव डूबने लगी भगवान का स्मरण किया लेकिन नाव हिलोरें तेजी के साथ लेने लगी तब राजा की सेवक ने कहा की रत्नावली के श्री कृष्णा मेरी रक्षा करो पुकारो राजा ने ऐसा ही किया तुरंत तूफान रुक गया तब राजा की समझ में हरि नाम संकीर्तन की महिमा आ गई।

आचार्य ने कथा में कपिल देवहुती संवाद, ध्रुव प्रहलाद स्तुति, वामन अवतार, मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, राम अवतार और कृष्ण जन्म की कथा का सुंदर वर्णन किया। इस दौरान स्तुति नमामि शमीशान निर्वाण रूपम व सुंदर भजन की प्रस्तुतियों पर श्रोताओं ने खूब झूमकर नृत्य किया।

रुद्र महायज्ञ में सुबह और शाम भक्तों द्वारा आहुतियां डाली गईं। भागवत का पूजन नावेनद्र त्रिपाठी नूतन शुक्ला, सरस्वती संजय दुबे, अवधेश निरंजन आरती निरंजन, सत्यम शर्मा, सुषमा अनिल खरे, अरविंद नगाइच, डॉक्टर नीरज डॉक्टर प्रज्ञा, डॉ मुकुट निरंजन, सत्यम दुबे श्रेयांश दुबे, सुशील शर्मा आदि ने किया। विशेष रूप से राष्ट्रभक्त संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष अंचल अरजरिया, पार्षद विष्णु यादव, गोलू रैकवार, दिनेश पाल, दीपक वर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे। यज्ञ व भागवत कथा जारी है।