रामकुमार साहू 

झांसी/दतिया। झांसी में हवाई अड्डा के लिए पिछले 20 वर्ष से जमीन की तलाश जारी है वहीं, मप्र के सीमावर्ती छोटे से जिला दतिया में आधुनिक एयरपोर्ट बन तैयार हो गया और उसका 24 फरवरी को वर्चुअल उद्घाटन भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। मप्र के जनप्रतिनिधियों ने साबित कर दिया कि उनमें दम है तभी तो झांसी को पछाड़ कर एयरपोर्ट की सौगात दे दी। अब झांसी के लोग दतिया से उड़ान भरेंगे। नागर विमानन महा निदेशालय (डीजीसीए) ने दतिया हवाई अड्डे को वीएफआर श्रेणी के तहत पब्लिक एयरोड्रम के रूप में लाइसेंस दे दिया है। इसके साथ ही दतिया हवाई अड्डा मध्य प्रदेश का 8वां सार्वजनिक हवाई अड्डा बन गया है।

गौरतलब है कि अंग्रेजों के जमाने से रेलवे का जंक्शन, विशाल सेन्य क्षेत्र, बीएचईएल व तमाम औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र, तीन तरफ से मप्र से घिरी ऐतिहासिक नगरी झांसी में दशकों से एयरपोर्ट की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए कवायद नहीं की गई। आए-गवाहे या यूं कहें कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधियों द्वारा आवाज़ बुलन्द की जाती रही और जारी है, किन्तु उनकी आवाज़ सिर्फ जमीन की तलाश तक ही सीमित रह गई। एयरपोर्ट की जमीन को न जाने कितने क्षेत्र बदले पर रहा ढाक के तीन पात। उधर, झांसी से चंद किमी दूर मप्र के सीमावर्ती जिला झांसी से हर मायने में “स्माल” जिला दतिया के जनप्रतिनिधि ने अपनी राजनैतिक ताकत के बूते एयरपोर्ट को जमीं पर उतार दिया। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि कारवां गुज़र गया हम गुवार देखते रहे…

21 करोड़ रूपए की लागत से दतिया एयरपोर्ट बनकर पूरी तरफ से तैयारी हो गया है। जिसका शुभारंभ पीएम मोदी 24 फरवरी को वर्चुअल करेंगे। एयरपोर्ट इनॉगरेशन की तैयारी भी हो गई है। बता दें कि साल 2012 में तत्कालीन गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दतिया हवाई पट्‌टी की आधार शिला रखी थी तब लोगों को लग नहीं रहा था कि कभी दतिया में भी हवाई जहाज उतर पाएंगे। झांसी के लोग तो इसे राजनैतिक स्टंट कहते कटाक्ष करते रहे, किन्तु आज़ की हकीकत ने सबके मुंह पर ताले लगा दिए हैं।

नरोत्तम मिश्रा के प्रयासों से दतिया को मिली हवाई अड्डा की सौगात

एयरपोर्ट डायरेक्टर साजिद हकीम ने मीडिया को बताया कि पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के प्रयासों से दतिया में हवाई अड्डा शुरू होने जा रहा है। मध्य प्रदेश के दतिया जिले को एक बड़ी सौगात दतिया हवाई अड्डे के रूप में मिलने जा रही है। अगर हम बात करें तो आसपास के राज्यों की जैसी झांसी उत्तर प्रदेश में हवाई अड्डा नहीं है, अब दतिया में हवाई अड्डा बन जाने से उत्तर प्रदेश के रहवासी हवाई यात्रा दतिया से कर सकेंगे।

184 एकड़ क्षेत्र में बना दतिया एयरपोर्ट

बता दें कि 24 फरवरी को शुभारंभ के बाद से ही दतिया हवाई अड्डे को आम यात्रियों के लिए शुरु कर दिया जाएगा। पहली फ्लाइट भोपाल से दतिया, दतिया से खजुराहो होते हुए वापस भोपाल के लिए रवाना होगी। यह एयरपोर्ट 184 एकड़ के क्षेत्र में बनाया गया है। बताते चले की दतिया व झांसी के तमाम युवा पुणे, बैंगलोर, दिल्ली जैसे शहरों में या तो जॉब कर रहे हैं या पढ़ाई। ऐसे में उन सभी लोगों को ग्वालियर से फ्लाइट पकड़नी पड़ती है। अगर दतिया से महानगरों के लिए सीधी या कनेक्टिवटी की नियमित फ्लाइटें शुरू हुई तो दतिया से सवारियां निकलना भी शुरू होगा। यह एयरपोर्ट साढ़े सात लाख से ज्यादा की आबादी को सेवाएं देगा, जिसमें दतिया के साथ साथ मुरैना, शिवपुरी और एमपी से लगे यूपी के झांसी, ललितपुर व सरहदी क्षेत्रों के रहने वालों को भी इसका लाभ मिलेगा। यहां बड़े शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ेगी।

मप्र का 8 वां एयरपोर्ट होगा दतिया

मध्य प्रदेश में पहले 5 प्रमुख एयरपोर्ट को पब्लिक यूज के लिए लाइसेंस प्राप्त थे, जिनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खजुराहो, और ग्वालियर शामिल हैं। इसके बाद 9 सितंबर 2024 को रीवा हवाई अड्डे को पब्लिक एरोड्रम के रूप में लाइसेंस मिला हुआ था। हाल ही में, 23 दिसंबर 2024 को सतना हवाई अड्डे को भी पब्लिक एरोड्रम के रूप में लाइसेंस प्राप्त हुआ है। अब प्रदेश का दतिया में आठवां हवाई अड्डा तैयार हो गया है।

दतिया हवाई अड्डे की सुविधाएं एरिया और रनवे

दतिया हवाई अड्डा 118 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है। इसका रनवे 1810 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है। हवाई अड्डे का टर्मिनल भवन 768 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो प्रति घंटे 100 यात्रियों की क्षमता रखता है। एप्रन को दो ATR-72 विमानों के लिए अनुकूलित किया गया है। सुविधाएं : यात्रियों के लिए फ्लाइट इनफॉर्मेशन डिसप्ले सिस्टम (एफआईडीएस), रिजर्व लाउन्ज, वाई-फाई, और सीसीटीवी जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।आपातकालीन सेवाएं : हवाई अड़े पर अग्निशमन वाहनों की भी तैनात की गई आपातकालीन स्थिति में तुरंत सहायता उपलब्ध हो सके

बीड़ा व डिफेंस कारिडोर भी नहीं ला पाई झांसी में एयरपोर्ट, जमीन तलाश का झुनझुना बज रहा 

झांसी में बीडा और डिफेंस कॉरिडोर के विकसित होने के चलते लगने लगा था कि झांसी में एयरपोर्ट जल्द ही आकार लेगा क्यों कि इनसे आने वाले दिनों में यहां औद्योगिक गतिविधियां बढ़नी तय हैं और इसमें रेल मार्ग की अपेक्षा यहां हवाईअड्डे का होना भी बेहद जरूरी है। सरकारी मशीनरी हवाई अड्डे की स्थापना के लिए यहां पिछले लगभग 20 साल से जमीन की तलाश का झुनझुना बजा रही है और जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इस पर ताल ठोकी जा रही है लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा पाया है।पहले ग्वालियर रोड पर स्थित सेना की हवाई पट्टी को विकसित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाई थी। इसके बाद ग्राम सफा में हवाई अड्डे के लिए दो सौ एकड़ जमीन चिह्नित की गई थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की टीम ने इस जमीन का स्थलीय और हवाई सर्वेक्षण भी किया था लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। बीडा में भी हवाई अड्डा बनाने की योजना तैयार की गई थी लेकिन यहां भी बात नहीं बन पाई। इसके बाद हाल ही में कानपुर रोड पर हवाई अड्डे के लिए जमीन चिह्नित की गई थी लेकिन इस प्रस्ताव को एएआई ने खारिज कर दिया था। एएआई का कहना था कि चूंकि दतिया में बनने वाले हवाई अड्डे को एयरपोर्ट का दर्जा दिया जा चुका है। ऐसे में नियमानुसार दतिया के हवाई अड्डे की 50 किमी की परिधि में किसी नए हवाई अड्डे मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इसके बाद अब एक बार फिर नए सिरे से जमीन की तलाश शुरू कर दी गई है। एयरपोर्ट का भविष्य भगवान के भरोसे है!