बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक की जयंती पर बुंदेलखंड राज्य का संकल्प दोहराया
बुंदेली भाषा को आठवीं सूची में शामिल करने की मांग उठाई

झांसी। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक स्व. शंकरलाल मेहरोत्रा का 77वां जन्म दिवस “आदरांजलि” के रूप में मुन्नालाल धर्मशाला में आयोजित किया गया। इस अवसर पर अतिथियों, कवियों व उपस्थित गणमान्यों ने स्व. मेहरोत्रा के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये और बुंदेलखंड राज्य का संकल्प दोहराया। बुंदेली भाषा को आठवीं सूची में शामिल करने की मांग उठाई।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। अतिथियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य, बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष हरिमोहन विश्वकर्मा, अभिनेता राजा बुंदेला, केंद्रीय महामंत्री अजय शर्मा, उप्र व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी, पन्नालाल असर, पंकज अभिराज, स्व. मेहरोत्रा की बेटी अनुराधा मेहरोत्रा, दामाद मोहित मेहरोत्रा, बुंदेलखंड क्रांति दल के अध्यक्ष सत्येंद्र पाल सिंह, बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के भानुसहाय, बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के अध्यक्ष प्रवीण पांडेय, महामंत्री यगेश गुप्ता, बुंदेलखंड सेना के अंशुमन दीक्षित, हमीदा अंजुम, आदि ने दीप प्रज्जवलन में हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ने कहा कि स्व. मेहरोत्रा के जीवन के विषय में कुछ कहना सूरज को दिया दिखाना जैसा है। उन्होंने राजनीतिक जीवन को तिलांजलि देकर बुंदेलखंड के करोड़ों लोगों को बुंदेलखंड राज्य का सपना दिखाया और उसे सच करने के लिए साथियों सहित तन मन धन समर्पित कर दिया। रासुका और 302 जैसे कानूनों के लागू होने के बाद भी उन्होंने न खुद हौसला त्यागा न साथियों को त्यागने दिया। मेहरोत्रा की बेटी अनुराधा और दामाद मोहित ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके पिता ने बुंदेलखंड के लिए सर्वस्व समर्पित किया। अध्यक्ष हरिमोहन विश्वकर्मा ने कहा कि उन्होंने मेहरोत्रा के संग लम्बे समय काम किया और बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा में उन्हें और मेहरोत्रा को एक दूसरे का पर्याय समझा गया। आज बुंदेलखंड राज्य का संघर्ष जिस मोड पर है उसमें मेहरोत्रा जी का योगदान अविस्मरणीय है।
अभिनेता राजा बुंदेला ने बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए शंकरलाल मेहरोत्रा के प्रयासों को याद किया। उप्र व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा कि स्व. मेहरोत्रा विरले व्यक्तित्व थे। उन्होंने उन लोगों के लिए संघर्ष किया जिन्हें वे जानते तक नहीं थे। पवन झां ने बुंदेलखंड राज्य के लिए किए गए संघर्ष को याद किया। कार्यक्रम में अवधेश समेले, आनंदी कुशवाहा, अशोक सक्सेना, रघुराज शर्मा, विशाल मियांदाद, सोनू चौहान, शीतल, अनवार खां, चंद्रशेखर तिवारी, हरीश लाला, जगदीश साहू, शीतल तिवारी, ज्ञानेश्वर कुशवाहा, रामकुमार साहू, बृजेश राय, अनूप जैन, पुष्पेंद्र यादव, धर्मेंद्र साहू, शशांक त्रिपाठी, विजय कुशवाहा, प्रमोद श्रीवास्तव, अमित विश्वकर्मा, सुमित विश्वकर्मा, तरुण विश्वकर्मा, अंशुमान विश्वकर्मा, अमन परिहार, शेखर मौर्य, मनीष गौर, के के सरवरिया, कोमल परिहार, संजय जैन कर्नल, भूपेंद्र रायकवार, प्रमोद शास्त्री, अशोक शर्मा ‘प्रिन्स, राजीव शर्मा, विनोद शर्मा हिटलर, ललितेश यादव, सुन्दर लिखार, आरिफ शहडोली, भरत राय, देवदत्त बुधौलिया, प्रागीलाल राजन, पुनीत अग्रवाल, आदि उपस्थित रहे।