• राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के अनौपचारिक प्रशिक्षण शिविर का समापन
    झांसंी। बीयू में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के तत्वाधान में सत्र 2018-19 में संचालित किये जा रहे अनौपचारिक संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के सत्र समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि वीरंागना लक्ष्मीबाई महिला महाविद्यालय कि प्राचार्य डा.बी.बी.त्रिपाठी ने बताया कि देववाणी संस्कृत देश को विश्व गुरू का दर्जा दिलाने में सक्षम है। संस्कृत का तात्पर्य एक परिष्कृत, परिमार्जित, पूरी तरह अलंकृत भाषा है। अन्य भाषाओँ के विपरीत संस्कृत में भाषागत त्रुटियाँ नहीं मिलती हैं। डा.त्रिपाठी ने कहा कि भाषाविद भी मानते हैं कि विश्व की सभी भाषाओँ की उत्पत्ति किसी न किसी रूप में विश्व की सर्वाधिक समृद्ध एवं प्राचीनतम भाषा संस्कृत से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज देश में संस्कृत भाषा मात्र वैदिक भाषा बनकर सिमट गयी है। इसे विद्वानों एवं विशेषज्ञों की भाषा मानकर इससे परहेज किया जाता है।
    उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस भाषा को अति कठिन बताते है जिससे एक सामान्य छात्र संस्कृत से दूर भाग रहा है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के द्वारा संचालित इन औपचारिक संस्कृत प्रशिक्षण शिविरों का लाभ लें तथा संस्कृत के प्रचार प्रसार में योगदान करें। अध्यक्षता करते हुए पत्रकारिता संस्थान के पूर्व विभाग प्रमुख डा.सी.पी. पैन्यूली ने कहा कि हमारे देश में यद्यपि संस्कृत को महत्व नही दिया जा रहा है, परन्तु भारत से बाहर कई देशों के विभिन्न स्कूलों, विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में संस्कृत का अध्यापन नियमित रूप से हो रहा है। उन्होंने कहा कि नासा के शोधकर्ताओं के अनुसार- कम्प्यूटर तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषम क्षेत्रों में प्रयोग करने हेतु संस्कृत सबसे बेहतरीन भाषा है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे संस्कृत को एक विषय के रूप में न लेकर एक भाषा के रूप में अध्ययन करें। अपनी दैनिक बोलचाल में भी संस्कृत के प्रयोग से नही हिचकिचाएं।
    प्रारम्भ में प्रशिक्षण केन्द्र के प्रशिक्षक रजनीकान्त आर्य ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सत्र 2018-19 की आख्या प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पत्रकारिता संस्थान तथा आर्यकन्या महाविद्यालय के कुल दो प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन किया गया। दोनों केन्द्रों पर कुल मिलाकर 97 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इस अवसर पर पत्रकारिता संस्थान के समन्वयक डा.कौशल त्रिपाठी, डा.बी.भदौरिया, डा.मोहम्मद नईम ऊधम ंिसह यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये। ऋषभ तिवारी, अविनाश पाठक, तनुश्री ठाकुर, अभिषेक कुमार, रूचि, आकाश गौड आदि कई विद्यार्थियों ने अपने अपने अनुभव उपस्थित लोगों के साथ साझा किये। संचालन उमेश शुक्ला ने व आभार डा. उमेश कुमार ने व्यक्त किया। समारोह के अन्त में आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित भी किया गया।