• विश्व प्रेस दिवस पर बुविवि में कार्यक्रम
    झांसी। किसी भी लोकतांंित्रक देश के लोकतन्त्र को स्थायी एवं मजबूत बनाए रखने में मीडिया की भूमिका अहम है। इसके अतिरिक्तकिसी भी लोकतान्त्रिक देश में लोकतंत्र की मजबूती के लिए प्रेस की स्वतंत्रता आवश्यक है। यह विचार आज पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील काबिया ने व्यक्त किये। प्रो.काबिया आज बीयू में विश्व प्रेस स्वतन्त्रता दिवस पर आयेाजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विविध पैमानों पर आकलन के लिहाज से भारतीय मीडिया की स्थिति दुनिया के अन्य देशों की तुलना में काफी निम्न है। इसके विविध कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि मीडिया में न तो शोहरत है और न पैसा लेकिन कमजोर की आवाज को उठाने का इसमें अजब सामथ्र्य है। इसी के कारण यह लोकप्रियता को हासिल करता है। दुनिया की सभी क्रांतियां कलम की ताकत के कारण ही हुई हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप सब सफल मीडिया कर्मी बनने से पहले सफल इंसान बनें। सभी आपस में मिलकर यह विचार करें कि नए दौर में उभरती चुनौतियों के बीच भी कैसे मीडिया की स्वतंत्रता को कायम रखा जा सकता है।
    कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और हिंदी विभाग के अध्यक्ष डा. मुन्ना तिवारी ने समाज के विविध वर्गों में पत्रकारिता के प्रति लेकर व्याप्त धारणाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज यह विचार करने की जरूरत है कि प्रेस और मीडिया जगत कहां खड़ा है। हमें आधुनिक परिवेश पर सम्यक रूप से विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि बाजारवाद हमारी सोच को नियंत्रित कर रहा है। विविध वस्तुओं के वि़ज्ञापनों ने भी आम जन की सोच और कार्यशैली को प्रभावित किया है। हमें अपने विचारों को स्वतंत्र बनाए रखकर ही प्रेस को स्वतंत्र बनाए रखना है। प्रारम्भ में समन्वयक डा. कौशल त्रिपाठी ने स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्तमान परिदृश्य में मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखना बड़ी चुनौती है। इस विषय पर समाज के सभी जिम्मेदार लोगों को गंभीरता से चिंतन करने की जरूरत है। डा.त्रिपाठी ने विविध उदाहरणों के जरिये प्रेस की ताकत को रेखांकित किया।
    इससे पहले उमेश शुक्ल ने भी मीडिया जगत के समक्ष उत्पन्न विविध चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने भावी पत्रकारों से परिस्थितियों को समझते हुए सजगता और निर्भीकता के साथ अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में मीडिया कार्पोरेट के हाथ में है जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक फायदा कमाना है। अत: आज दुनियाभर के मीडियाकर्मियों को समाज के वंचित तबके के साथ खडा होकर उन्हे न्याय दिलानो का प्रयास करना चाहिये। अध्यक्षता करते हुए पूर्व विभागाध्यक्ष डा. सीपी पैन्यूली ने कहा कि पत्रकारिता आजादी से पहले मिशन थी लेकिन आज यह व्यवसाय का रूप ले चुकी है। इसके बाद भी आज भी अनेक पत्रकार इस व्यवसाय के मूल्यों और आदर्शों की रक्षा के लिए प्राणपण से जुटे हुए हैं। पत्रकारिता जगत की चुनौतियों को सामने रखते हुए उन्होंने पत्रकार उमेश डोभाल की शहादत का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि आज भी माफिया तत्वों की ओर से पत्रकारों को विभिन्न प्रकार की धमकियां मिलती रहती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भावी पत्रकार पत्रकारिता जगत की चुनौतियों को समझते हुए देश के विकास में अपना योगदान देंगे।
    संचालन करते हुए समाज कार्य संस्थान के डा. मुहम्मद नईम ने मीडिया की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया। अंत में विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की षष्टम ईकाई के कार्यक्रम अधिकारी डा.उमेश कुमार ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में पत्रकारिता के मूल्यों और आदर्शों के लिए बलिदान देने वाले पत्रकारों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर सतीश साहनी, इंजी. मुकुल सक्सेना, अभिषेक कुमार, आचार्य रजनीकांत समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।