– झांसी में 3 केस की एक ही रिपोर्ट, शिकायतकर्ता की जगह दूसरी महिला का लगाया फोटो
– शिकायतकर्ता से बिना साक्ष्य लिए लगा दी गई रिपोर्ट, इंस्पेक्टर सहित 3 पुलिस कर्मी निलंबित
झांसी। उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे बड़े जनसुनवाई (आइजीआरएस) पोर्टल पर पीड़ित को न्याय मिलना तो दूर फर्जीबाड़ा शिकार बनना पड़ रहा है। हालत यह है कि झांसी में शिकायतों को फर्जी तरीके से निस्तारित करने की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसा ही एक मामला बुंदेलखंड विश्विद्यालय की प्रशासनिक अधिकारी के साथ हुआ तब फर्जीबाड़ा उजागर हुआ तो सभी ने दांतों तले उंगली दबा ली।
बीयू के शिक्षकों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत के मामले में फर्जी रिपोर्ट लगाकर गलत फीडबैक देना झांसी के पुलिस अफसरों को महंगा पड़ गया। शिकायत पर झांसी एसएसपी ने प्राथमिक जांच में दोषी पाए जाने पर थाना नवाबाद प्रभारी निरीक्षक, चौकी विवि प्रभारी और आइजीआरएस प्रभारी महिला सिपाही को निलंबित कर दिया गया है। यह तो रही एक मामले की बात यदि निस्तारित सभी मामलों में पीड़ित से जानकारियां ली जायें तो फर्जीवाड़ा के और भी मामले उजागर हो सकते हैं।
जिस मामले ने फर्जीवाड़ा की पोल खुली वह झांसी के बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की प्रशासनिक अधिकारी डॉ. पुष्पा गौतम से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि उन्होंने जनसुनवाई पोर्टल पर 23 मार्च को विवि के वरिष्ठ प्रोफेसर और एक महिला शिक्षिका के खिलाफ उत्पीड़न की तीन अलग अलग शिकायतें की थीं।
आइजीआरएस पोर्टल पर यह शिकायत चौकी प्रभारी अश्वनि दीक्षित के पास ऑनलाइन स्थानान्तरित हो गई। पुलिस ने 6 अप्रैल को मामले के निस्तारण की रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड कर दी। आश्चर्यजनक रूप से शिकायत के तीनों मामले में निस्तारण की एक ही रिपोर्ट अपलोड की गई थी तो वह चकित रह गईं। उन्होंने बताया कि शिकायत के बाद नवाबाद थाने से शिकायत की पुष्टि के लिए सिर्फ एक फोन आया। इसके बाद पुलिस ने उनसे कभी संपर्क नहीं किया। शिकायतकर्ता प्रशासनिक अधिकारी पुष्पा गौतम ने बताया कि जब निस्तारण के साक्ष्य डाउनलोड किए तो अपनी जगह दूसरी महिला का फोटो देखकर हैरान रह गईं।
पोर्टल पर अपलोड फोटो में पुलिस के साथ बैठी बुजुर्ग महिला को पुष्पा गौतम बताया गया। इसके साथ कुलसचिव के नाम का पत्र अपलोड किया गया। इसमें कहा गया कि मामला बीयू परिसर का है इसलिए आपके स्तर से जांच करना आवश्यक है।
इस फर्जीवाड़ा की शिकायत पुष्पा गौतम ने मुख्यमंत्री व पुलिस के उच्चाधिकारी से की थी। जब मामले की जांच की गई तो फर्जीवाड़ा की कलई खुल गई। एसएसपी सुधा सिंह द्वारा इसमें प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए थाना नवाबाद इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह, विश्वविद्यालय चौकी प्रभारी अश्विनी दीक्षित और आइजीआरएस की प्रभारी महिला सिपाही को देर रात निलम्बित कर दिया गया। इसके अलावा और भी जांच की जा रही है। देखना है कि अन्य निस्तारित शिकायतों की जांच पड़ताल कब होगी।