ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में विद्युत सुधार गोष्ठि में एकजुट हुए झांसी, जालौन व ललितपुर के अवर/प्रोन्नत अभियंता
झांसी । वर्तमान में ऊर्जा निगमों के निजीकरण किए जाने के विरोध में केंद्रीय कार्यकारिणी के निर्देशानुसार राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन झांसी क्षेत्र झांसी के अंतर्गत जनपद झांसी, ललितपुर और जालौन के पदाधिकारी व अवर/प्रोन्नत अभियंताओं ने एकजुट होकर कार्यालय मुख्य अभियंता झांसी क्षेत्र झांसी प्रांगण में उपस्थित होकर दो दिवसीय विद्युत सुधार गोष्ठि आहूत की गई।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए सभाध्यक्ष इं० सुनील कुमार ने कहा कि ऊर्जा विभाग के बेहतरी के लिए निजीकरण कोई विकल्प नहीं है बल्कि विद्युत सुधार गोष्ठि कर प्रबंधन कर्मचारियों व अभियंताओं से वार्ता करें और बेहतर विद्युत आपूर्ति एवं राजस्व लक्ष्यों की पूर्ति करने हेतु आवश्यक संसाधन, मटेरियल एवं मैनपावर उपलब्ध कराएं लेकिन प्रबंधन और सरकार मात्र उत्पीड़न कर विभाग को जानबूझकर पूंजीपतियों को बेचने का कार्य कर रहा है जो स्वीकार योग्य नहीं है। राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन उत्तर प्रदेश के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जारी विरोध कार्यक्रमों को पूरे जोश के साथ झांसी क्षेत्र के संगठन के सभी सदस्य सम्मिलित रहेंगे।
इं० जगदीश वर्मा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष क्षेत्र झांसी ने कहा कि सभी अवर और प्रोन्नत अभियंता उपभोक्ताओं से बेहतर संवाद बनाकर उनकी समस्याओं को यथासंभव निस्तारण कराने को प्रयासरत रहें, पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण होने के बाद उत्तर प्रदेश के गरीब, किसान भाइयों को महंगी दरों पर विद्युत आपूर्ति की जाएगी जिस प्रकार महाराष्ट्र उड़ीसा गुजरात अन्य प्रदेशों में जहां पर निजीकरण पूर्व में किया जा चुका है विद्युत महंगी दरों पर दी जा रही है । विभाग के अंदर सुधार कार्यक्रमों के द्वारा स्थितियां बदली जा सकती हैं। कॉरपोरेशन में केस्को का प्रदर्शन इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां ऊर्जा प्रबंधन एवं विद्युत कर्मियों के संयुक्त प्रयास से विद्युत वितरण व्यवस्था वित्तीय रूप से एवं बेहतर उपभोक्ता सेवा सुनिश्चित करने में सक्षम बनी । इसके अतिरिक्त देश के कई सार्वजनिक उद्यम जैसे एनटीपीसी, एनएचपीसी, बीएचईएल आदि द्वारा अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर मिसाल कायम की गई है। इनका अध्ययन कर कॉरपोरेशन की कार्य प्रणाली में सकारात्मक बदलाव किए जाने चाहिए।
सभा का संचालन करते हुए इं राजकुमार क्षेत्रीय सचिव झांसी क्षेत्र ने कहा कि संगठन का मानना है कि विभाग में नई तकनीकों का अधिकतम प्रयोग करके कार्य दक्षता/ पारदर्शिता को बढ़ाया जाए साथ ही हर स्तर पर कार्य की ज़िम्मेदारी/ जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। संगठन ऊर्जा क्षेत्र की बेहतरी, उत्कृष्ट उपभोक्ता सेवा एवं सस्टेनेबल वित्तीय स्थिति के लिए विभाग में चलाए जा रहे सुधार कार्यक्रमों में पूर्ण सहयोग के लिए संकल्पित है। परंतु रिफॉर्म के नाम पर निजीकरण की कार्यवाही न तो जूनियर इंजीनियर और न ही विद्युत उपभोक्ताओं/आम जनमानस के हित में है, जिसी किसी भी स्थिती में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इं० रामकुमार जनपद अध्यक्ष झांसी ने कहा कि झांसी जनपद में ऊर्जा विभाग में कार्यरत प्रत्येक अवर/प्रोन्नत अभियंता निजीकरण के विरोध में हैं जिसका पुरजोर विरोध प्रत्येक स्तर पर किया जाएगा। इं आलोक खरे जनपद सचिव जनपद जालौन ने कहा कि किसी भी प्रदेश में निजीकरण होने के बाद किसी प्रकार का कोई आमूल चूल परिवर्तन नहीं किया गया जो व्यवस्थाएं सरकारी कंपनियां चल रही थी वही व्यवस्थाएं अभी चल रही है उससे भी दर से बदतर हालत हो गए हैं । कोविड जैसी महासंकट के समय दिन रात कार्य करके सरकारी विद्युत कार्मिक बिजली व्यवस्था बनाए हुए थे ताकि लॉकडाउन मैं अस्पतालों और उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति होती रहे अवर अभियंता दिन रात लगातार कार्य करते हैं संसाधन और मटेरियल की भारी कमी के बाद भी लगातार विद्युत आपूर्ति बनाए रखने का कार्य करते हैं। प्रबंधन को जमीनी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए संगठन के सुझावों पर ध्यान देना चाहिए जिससे बेहतर उपभोक्ता सेवा को चरितार्थ किया जा सके।
इं रोहित कुमार जनपद सचिव जनपद झांसी ने कहा कि जिन आंकड़ों के आधार पर कॉरपोरेशन पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण किया जा रहा है है उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। माह जुलाई 2024 में कॉरपोरेशन द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को प्रस्तुत आंकड़ों में राजस्व वसूली से लेकर लाइन हानियां रोकने, बेहतर विद्युत आपूर्ति तथा बिलिंग दक्षता आदि सभी पैरामीटर में उल्लेखनीय प्रगति की बात कही गई थी तीन चार माह में ही विपरीत आंकड़े प्रस्तुत कर विभाग को ऋण जाल में फंसे होने की बात कहा जाना सच्चाई से परे मात्र आंकड़ों की बाजीगरी के सिवा कुछ नहीं है।
उपखंड अधिकारी इं दिनेश मौर्य ने कहा कि विद्युत कर्मियों द्वारा सीमित संसाधन एवं अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था में दिन-रात मेहनत कर क्षमता विस्तार, डाटा क्लीनिंग एवं बेहतर विद्युत आपूर्ति के अभूतपूर्व कार्य किए गए, उसके सकारात्मक परिणाम आने शुरू हुए हैं। देश भर में सर्वाधिक 30000 मेगावाट(एक दिन में) की विद्युत आपूर्ति इन्हीं जूनियर इंजीनियर एवं विद्युत कर्मियों द्वारा की गई थी। इन सब के बाद भी उड़ीसा मॉडल पर निजीकरण किया जाना एक छलावा है। जिससे विद्युत उपभोक्ता, किसान, मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के व्यापारी एवं आम जनमानस पर महंगी बिजली खरीदने के लिए बाध्य होंगे साथ ही जूनियर इंजीनियर एवं विद्युत कर्मियों का भविष्य अंधकार मय हो जाएगा। ज्ञातव्य है की उड़ीसा मॉडल एक असफल प्रयोग है जहां पर आज भी विद्युत हानियां 20% के ऊपर हैं जबकि उत्तर प्रदेश में यह 19 प्रतिशत के आसपास हैं और वर्तमान में जारी रिवैंप आदि योजनाओं के पूर्ण होने पर लाइन हानियां 15 प्रतिशत पर आ जाएगी।
वक्ताओं ने मुख्यमंत्री से अपील के माध्यम से प्रभावी हस्तक्षेप करते हुए कॉरपोरेशन द्वारा लिए गए निजीकरण के फैसले को आम जनमानस विद्युत उपभोक्ताओं एवं विद्युत कर्मियों के हित में तत्काल निरस्त करने की मांग की, आपके कुशल नेतृत्व में सभी सभी विद्युत कर्मी और अधिक मेहनत तथा लगन से कार्य कर प्रदेश के विकास में अपना पूर्ण योगदान दे सके।
सभा में सहायक अभियंता इं कन्हैयालाल, इं अनिल सागर, इं अक्षय कुमार, इं शिव कुमार कुशवाहा अवर अभियंता इं नवीन कंजौलिया, इं निशांत शर्मा , इं ऋतिक , इं रमेश चंद्र, इं रजनीश, इं रवि कुमार गुप्ता, इं लक्ष्मी नारायण, इं विभव, इं चंद्रशेखर, इं मोहित कुमार, इं शैलेन्द्र, इं राजीव, इं विक्रम, इं विक्की वर्मा, इं रामनरेश, इं चंद्रभान, इं मनोज कुमार, इं गौरव , इं जितेंद्र देव वर्मा, इं शिवम साहू, इं रमाकांत वर्मा, इं राजकुमार, इं अंकित साहनी, इं अमन पांडे, इं सत्यप्रकाश गौतम, इं मुकुल वर्मा, इं नवनीत , इं चंद्रप्रकाश, इं पुष्पेंद्र, इं नरेंद्र कुमार, इं रामकरण, इं संजीव अन्य सदस्य उपस्थित रहे।













