• जिला महिला अस्पताल बना रेफर सेन्टर
    झांसी। झांसी मुख्यालय का जिला महिला अस्पताल अव्यवस्थाओं व लापरवाही के चलते गर्भवती महिलाओं का रेफ र सेंटर बन चुका है इमरजेंसी नाम मात्र का दिखावा है। रात्रि में परिजन गर्भवती महिला को डिलिवरी के लिए ले जाते है महिला डॉक्टर व स्टाफ के अमानवीय व्यवहार के चलते पीडि़ताओं को जबरन रेफर कर दिए जाने से आहत हो जाते हैं।
    गत रात झांसी राजघाट कॉलोनी निवासी गर्भवती स्वाति (28 वर्ष) पत्नी चन्दन को दर्द होने पर परिजन जिला महिला अस्पताल लेकर पहुंचे, किन्तु वहां मेडिकल ले जाने की बात कह कर दुत्कार दिया। इस दौरान महिला अस्पताल सीएमएस डॉ वसुधा अग्रवाल को कई बार फ ोन लगाए, किन्तु सफलता नहीं मिली। इस पर सीएमओ डॉ. सुशील प्रकाश से जब सम्पर्क हुआ तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि देखता हूं, किन्तु किया कुछ नहीं। जब कुछ नही हुआ तो आखिर डीएम साहब को अवगत कराया तो भर्ती कर लिया गया।
    इस प्रकार की स्थिति कई अन्य पीडि़ताओं के साथ हो चुकी है। उन्हें मजबूरन प्राइवेट नर्सिंगहोम का सहारा लेना पड़ा। इस स्थिति से सवाल उठता है कि महिला अस्पताल में उच्च तकनीक की सभी सुविधाएं मौजूद हैं फिर भी ये मोटी-मोटी तनख्वाह लेने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी डॉक्टर्स गर्भवती स्त्रियों के इलाज के प्रति उदासीन क्यों बने हुए हैं। जानबूझ कर गर्भवती को मेडिकल कॉलेज रेफर कर बल बचाते हैं जबकि सरकार कहती है 24 घण्टे ब्लड, पैथोलॉजी डॉक्टर्स उपलब्ध हो ताकि प्रसव ठीक से हो सकें। सरकार महिला अस्पताल में प्रसव कराने पर जच्चा को अनुदान भी दे रही। लोगों का कहना है कि सीएमएस की लचर कार्य शैली का नतीजा है जो महिला अस्पताल स्टाफ बेलगाम होकर किसी की नही सुनता। पूर्व सीएमएस डॉ खत्री की सटीक कार्य शैली के चलते 24 घण्टे गर्भवती महिला स्वस्थ्य डिलेवरी चल रही थी। उनके जाते है सारी व्यवस्था धड़ाम हो गई हैं।
    इसी प्रकार 18 मई 19 की रात को चार गर्भवतियों को मेडिकल रेफर कर दिया गया, किन्तु कोई कारण बताने वाला नहीं है। अभी जनवरी में एक महिला ने बाहर स्ट्रेचर पर बच्चे को जन्म दे दिया था उस समय ड्यूटी स्टाफ ने तुरन्त मेडीकल रेफर कर दिया जबकि नवजात की मौत महिला अस्पताल में ही हो चुकी थी। परिजन आज उन पलों को कोस रहे है जब गर्भवती को महिला अस्पताल ले कर आये थे।